जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर
एम. जगदीश कुमार क्या अभी भी छात्र आन्दोलन को लेकर गंभीर नहीं हैं? क्या वह अभी भी नहीं चाहते कि किसी तरह आन्दोलन ख़त्म हो, वातावरण सामान्य हो और पढ़ने-पढ़ाने का काम एक बार फिर पटरी पर लौट आए?
ये बातें इसलिए उठ रही हैं कि शनिवार को कुछ छात्रों का साथ उनकी बैठक पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इस बैठक से यह एक बार फिर साफ़ होता है कि जगदीश कुमार समस्या का निपटारा नहीं चाहते हैं।
किससे मुलाक़ात हुई, क्या बात हुई?
जगदीश कुमार ने शनिवार को कुछ लोगों से अपने दफ़्तर में मुलाक़ात की। बैठक की जो तसवीर सामने आई है, उसमें निर्वाचित छात्र संघ का कोई सदस्य नहीं है। सवाल यह है कि आख़िरकार वाइस चांसलर ने किससे मुलाक़ात की और उसका मक़सद क्या था? यदि उन्होंंने छात्रों के निर्वाचित प्रतिनिधियों से मुलाक़ात नहीं की तो उस मुलाक़ात का अर्थ ही क्या है?
जो लोग हॉस्टल फ़ीस और दूसरी फ़ीस वृद्धि के ख़िलाफ़ आन्दोलन कर रहे हैं, यदि उनसे ही बात नही की गई तो उसका नतीजा क्या हो सकता है, यह बहुत ही आसानी से समझा जा सकता है।
अमूमन इस तरह की बैठक के पहले छात्र संघ और निर्वाचित छात्रों को एक सर्कुलर भेजा जाता है, जिसमें बैठक के बारे में जानकारी दी जाती है। पर इस बैठक के पहले ऐसा कोई सर्कुलर जारी नहीं किया गया। जेनएयू स्टूडेंट्स यूनियन (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष आइशी घोष ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा, ‘किसी छात्र को इस तरह के सर्कुलर नहीं मिला। मुझे तो इस बैठक के बारे में जानकारी तब मिली, जब मैं एम्स में थी।’
दूर रखे गए छात्र-प्रतिनिधि
इस तरह की बैठक के पहले छात्र-प्रतिनिधियों को ई-मेल किया जाता है, इस बैठक के पहले किसी को कोई मेल नहीं मिला। जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा, ‘जो छात्र बैठक में थे, उनमें से कोई भी स्टूडेंट्स यूनियन का सदस्य नहीं था, हॉस्टल का निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं था और न ही हॉस्टल का अध्यक्ष था।’
कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई की जेएनयू ईकाई के प्रमुख सनी मेहता ने भी इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा, ‘हम किसी छात्र को पहचान नहीं पा रहे हैं, पर हमें लगता है कि ये सभी एबीवीपी या किसी ख़ास विचारधारा से जुड़े हैं।’
बीजेपी के छात्र संगठन
एबीवीपी के जेएनयू ईकाई के प्रमुख दुर्गेश कुमार ने इससे साफ़ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘न तो एबीवीपीस को इस बैठक के लिए न्योता गया था और न ही इसका कोई प्रतिनिधि इस बैठक में गया।’
कितने गंभीर हैं जगदीश कुमार?
सवाल बरक़रार है। आखिर वाइस चांसलर ने किससे मुलाक़ात की और क्यों? वे किसी से भी मुलाक़ात कर सकते हैं, वे अनजान छात्रों से भी मिल सकते है और मिलना भी चाहिए। पर यदि वह छात्र संगठनों से नहीं मिलते हैं यानी छात्र प्रतिनिधियों से मुलाकात नहीं करते हैं तो कम से कम इतना तो साफ़ है कि किसी समस्या का समाधान करने की दिशा में यह कोई कदम नहीं है। यानी, जगदीश कुमार फ़ीस वृद्धि के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलन के तीसरे महीने भी इसे ख़त्म कराने को लेकर गंभीर नहीं है।वह ऐसा तब भी नहीं हैं जब विश्वविद्यालय परिसर में घुस कर नकाबपोश गुन्डों ने कई घंटों तक तोड़फोड़ की हिंसा की और बड़े पैमाने पर मारपीट की। इस हिंसा में उनके अपने छात्र घायल हुए।
यह भी दिलचस्प है कि वाइस चांसलर अपने ही घायल छात्रों से मिलने या उनका हालचाल पूछने नहीं गए। उनके
विश्वविद्यालय के 36 छात्र बुरी तरह जख़मी हुए, एम्स के ट्रॉमा सेंटर ले जाए गए, पूरे देश में इन छात्रों के समर्थन में लोग सड़कों पर निकल आए, पर वाइस चांसलर इन घायल छात्रों का हालचाल पूछने तक नहीं गए। ऐसे में यह कैसे समझा जाए कि समस्या का समाधान खोजने की कोई ईमानदार कोशिश की जा रही है?
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