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जम्मू-कश्मीर में उथल-पुथल का माहौल, लोगों के मन में कई सवाल 

जम्मू-कश्मीर में बेहद उथल-पुथल का माहौल है। आम लोगों को यह नहीं समझ आ रहा है कि आख़िर क्यों इतनी बड़ी संख्या में जवानों को कश्मीर में तैनात किया जा रहा है। आगे किसी तरह की परेशानी से बचने के लिए लोग रोजमर्रा की चीजों को ख़रीद रहे हैं। पेट्रोल पंपों पर लोगों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं।
श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, कुपवाड़ा, कुलगाम, शोपियां, बारामूला और सोपोर आदि इलाक़ों में लोग इस बात को लेकर डरे हुए हैं कि क्या कहीं राज्य में फिर से तो कर्फ्यू नहीं लगने वाला है। बता दें कि ख़ुफ़िया रिपोर्टों से इस बात की पुष्टि हुई है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन और उसकी सेना अमरनाथ यात्रा में दख़ल देने की कोशिश में जुटे हैं और सीमा पार से कश्मीर में घुसपैठ हो सकती है। हाल ही में सेना को बारुदी सुरंग और पाकिस्तान की हथियार बनाने वाली फ़ैक्ट्री में बनी एम - 24 अमेरिकन स्नाइपर राइफ़ल भी मिली है। इसके बाद ही अमरनाथ यात्रा को रोकने का फ़ैसला किया गया है और श्रद्धालुओं और पर्यटकों से कहा गया है कि वे लोग जल्दी से जल्दी चले जाएँ। इस वजह से भी असमंजस की स्थिति बन गई है। 
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घाटी में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 35ए को ख़त्म कर सकती है। इसे लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं की बयानबाज़ी के कारण भी कश्मीर में लोग डरे हुए हैं। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा है कि अनुच्छेद 35ए से छेड़छाड़ करना बारूद में आग लगाने जैसा होगा।
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बच्चों को वापस भेजा घर

श्रीनगर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नालॉजी में पढ़ रहे 950 बच्चों को शनिवार को उनके घर वापस भेज दिया गया है। एक दिन पहले ही यह आदेश आया था कि उनकी कक्षाओं पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की में छपी ख़बर के मुताबिक़, एनआईटी के निदेशक प्रोफ़ेसर राकेश सहगल ने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से आदेश आने के बाद ही यह क़दम उठाया गया है। सहगल ने कहा कि वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संपर्क में भी हैं। श्रीनगर के उपायुक्त शाहिद चौधरी कहते हैं कि लगातार उड़ रही अफ़वाहों के बीच सभी संस्थानों के प्रमुखों को सतर्क रहने की सलाह दी गई थी लेकिन इसमें संस्थानों को बंद करने के लिए नहीं कहा गया था। कश्मीर में स्थित सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेज में भी छात्रों से कहा गया है कि वे कॉलेज के हॉस्टल को खाली कर दें। इसी तरह के आदेश श्रीनगर के सरकारी अस्पताल में भी कर्मचारियों को दिये गए हैं कि वे अस्पताल के अधिकारियों की अनुमति के बिना इलाक़े को छोड़कर न जाएँ। इसके अलावा श्रद्धालुओं ने घाटी को छोड़कर जाना शुरू कर दिया है। इस कारण से श्रीनगर एयरपोर्ट पर लोगों को जमावड़ा लग रहा है।
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मजदूर भी छोड़ रहे घाटी

मजदूरों ने भी घाटी को छोड़कर जाना शुरू कर दिया है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश के रहने वाले और घाटी में कारपेंटर का काम करने वाले नौशाद अली ने कहा कि उन्होंने कभी यहाँ इस तरह की स्थिति नहीं देखी। नौशाद ने कहा, ‘मैं काम के सीजन में यहाँ से नहीं जाना चाहता। लेकिन सरकार ने वापस जाने के लिए कहा है। इसलिए यह अच्छा है कि मैं यहाँ से चला जाऊँ।’ व्यापारी भी इस माहौल के कारण बेहद परेशान हैं क्योंकि इससे सीधे तौर पर व्यापार प्रभावित हो रहा है।
हालाँकि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इस तरह की अटकलों को पूरी तरह खारिज कर दिया है और कहा है कि सरकार की अनुच्छेद 35ए को हटाने की कोई योजना नहीं है।बहरहाल, अटकलों का दौर जारी है। जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती को लेकर उठ रहे सवालों का सही जवाब लोगों को दिये जाने की ज़रूरत है जिससे कि वे डर के माहौल से निकलकर स्वतंत्र रूप के काम कर सकें। लोगों के मन में यही डर है कि जम्मू-कश्मीर में आख़िर क्या होने वाला है।

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क़मर वहीद नक़वी
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