रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) सेंट्रल सर्कल ने हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी है। सीआरएस, मनोज अरोड़ा, घटना की वजह और हालात की जांच करने दुर्घटना स्थल का दौरा करेंगे। अभी सबसे बड़ा सवाल ये हैं- अफवाह के बाद, यात्रियों ने चेन खींच ली। पुष्पक एक्सप्रेस के पायलट ने कर्नाटक एक्सप्रेस के ड्राइवर को संकेत देने के लिए फ्लैश लाइट चालू कर दी। लेकिन फिर कर्नाटक एक्सप्रेस रुकी नहीं और वो टेढ़ी पटरी पर दनदनाते हुए चली आई। कहा जा रहा है कि कोहरा था, इसलिए टेढ़ी पटरी कर्नाटक एक्सप्रेस के ड्राइवर को दिखी नहीं। तो क्या पुष्पक एक्सप्रेस की फ्लैश लाइट इतनी कमजोर थी कि वो कोहरे में दूसरी ट्रेन को दिखी नहीं। इस सवाल का जवाब आने पर ही हादसे की असली वजह सामने आ पाएगी।
यह इस साल (2025) का पहला बड़ा हादसा है। 2023-24 में, भारत में 40 रेल हादसे हुए। लेकिन रेल मंत्री ने फरमाया कि 2014 से हादसे कितने कम हुए, उसका डेटा देने की बजाय कहा कि 2023-24 में हुए हादसे 2000-01 में हुए हादसों के मुकाबले 473 से कम है। हालाँकि, 2024 में कई बड़ी रेल दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें पटरी से उतरना, टक्कर और सिग्नल विफलताएँ शामिल थीं। 2023-24 में 40 ट्रेन हादसों में 313 यात्रियों और चार कर्मचारियों की मौत हुई थी।
सरकार हादसों को रोकने के नाम पर यही बताती है कि पुराने रेलमार्गों को बदलने या मरम्मत करने, नई रेलगाड़ियाँ चलाने और हजारों रेलमार्ग क्रॉसिंग को हटाने पर रेलवे करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। हालाँकि, यह काम कब खत्म होगा, कब हादसे रुकेंगे कोई नहीं जानता। हां लोगों की रेल यात्रा महंगी होती जा रही है। यह जनता को जरूर पता है।
हादसों का जिम्मेदार कौनः 11 रेलवे संगठनों और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का कहना है कि केंद्र सरकार, उसके मंत्री और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी तमाम रोके जा सकने वाले रेल हादसों की जिम्मेदारी लें। संगठनों का कहना है कि सरकार "सुरक्षा मानदंडों और प्रक्रियाओं के उल्लंघन" को रोके। उन्होंने रेलवे में बड़ी कमियों की ओर इशारा किया है जो घटनाओं के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।
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