कार्यकारी अध्यक्ष
जगत प्रकाश नड्डा को सोमवार को आम सहमति से भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया। नड्डा ने सुबह 10.30 बजे अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाख़िल किया। किसी दूसरे व्यक्ति ने अपनी दावेदारी पेश ही नहीं की। नड्डा का चुना जाना तय था और इसे महज औपचारिकता माना जा रहा था। नड्डा को लोकसभा चुनाव के बाद कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था।
बीजेपी के केंद्रीय मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में नड्डा को कमान सौंपी गई। इस मौक़े पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर तमाम बड़े नेता, पदाधिकारी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष मौजूद थे।
नड्डा ने कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद देश के लगभग सभी राज्यों का दौरा कर पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाक़ात की। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, नागरिकता संशोधन क़ानून, राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच रैलियां की हैं और अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश की है।
अध्यक्ष पद संभालते ही नड्डा के सामने सबसे पहली चुनौती दिल्ली का विधानसभा चुनाव है। अगर नड्डा के नेतृत्व में पार्टी यह चुनाव जीत जाती है तो निश्चित रूप से यह उनकी धमाकेदार शुरुआत होगी लेकिन अगर हार मिलेगी तो इसे ख़राब शुरुआत माना जाएगा।
लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी को हरियाणा में मनमुताबिक़ सफलता नहीं मिली, महाराष्ट्र में वह सरकार नहीं बना सकी और झारखंड में सत्ता से बाहर हो गई। इसके अलावा बीजेपी को दक्षिण में कर्नाटक के अलावा बहुत ज़्यादा सफलता नहीं मिली है। इसलिए ऐसे राज्यों में जहां विपक्षी दलों की सरकारें हैं और बीजेपी सरकार बनाने की जी-तोड़ कोशिश कर रही है, उन राज्यों में पार्टी को जीत दिलाना नड्डा के लिए बेहद ज़रूरी होगा। नड्डा को संघ के सामने इस बात को साबित करना होगा कि उन्हें अध्यक्ष बनाकर संघ ने सही व्यक्ति का चुनाव किया है।
अपनी राय बतायें