loader

इसरो एक्सपोसैट लॉन्च: ब्लैक होल यानी सितारों से आगे खोज की दिशा में बढ़े कदम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2024 के अपने पहले अंतरिक्ष मिशन एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) सोमवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश लॉन्च किया। इस उपग्रह के जरिए भारत अमेरिका के बाद हमारी आकाश गंगा में ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करने के लिए एक विशेष खगोल विज्ञान वेधशाला भेजने वाला दुनिया का दूसरा देश बन जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष विभाग के चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 मिशन के बाद यह देश का अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में अगला ऐतिहासिक कदम है।

सुबह 9.32 बजे, इसरो ने घोषणा की कि ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का प्रक्षेपण सामान्य था और XPoSAT को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इसरो ने बताया- "पीएसएलवी-सी58 लॉन्चर ने उपग्रह को 6-डिग्री झुकाव के साथ 650 किमी की कक्षा में सही ढंग से स्थापित किया। पीओईएम-3 की स्क्रिप्टिंग की जा रही है।" इसके तुरंत बाद, इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने सफल प्रक्षेपण की घोषणा की।

ताजा ख़बरें

XPoSAT मिशन प्रक्षेपण ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) की 60वीं उड़ान को भी चिह्नित किया। यह रॉकेट 260 टन वजन का है।  रॉकेट में ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करने के लिए एक एडवांस एस्ट्रोनॉमी साइंस वेधशाला (observatory) है। एक्स-रे फोटॉन और उनके ध्रुवीकरण का उपयोग करके, XPoSAT ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों के पास से विकिरण का अध्ययन करने में मदद करेगा। इसमें दो पेलोड हैं - POLIX (एक्स-रे में पोलारिमीटर उपकरण) और XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग)।

यह उपग्रह लगभग 50 संभावित ब्रह्मांडीय स्रोतों से निकलने वाली ऊर्जा के ध्रुवीकरण को मापेगा। इसे POLIX पेलोड द्वारा थॉमसन स्कैटरिंग के जरिए मापा जाएगा।

यह ब्रह्मांडीय एक्स-रे स्रोतों का दीर्घकालिक अस्थायी अध्ययन करेगा। यह POLIX और XSPECT पेलोड के माध्यम से ब्रह्मांडीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का ध्रुवीकरण और स्पेक्ट्रोस्कोपिक माप भी करेगा। अंतरिक्ष में तारे गुरुत्वाकर्षण के कारण विलुप्त हो जाते हैं तो वे अपने पीछे ब्लैक होल या न्यूट्रॉन तारे छोड़ जाते हैं। ब्रह्मांड में ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण बल सबसे अधिक है, और न्यूट्रॉन सितारों का घनत्व सबसे अधिक है। सारे तारे इसी ब्लैक होल में समा जाते हैं।

इस बारे में अधिक जानकारी जुटाकर यह मिशन अंतरिक्ष में अति-चरम वातावरण के रहस्यों को जानने में मदद करेगा।


XPoSat उपग्रह की लागत लगभग ₹ 250 करोड़ (लगभग $30 मिलियन) है। NASA IXPE - जो 2021 से इसी तरह के मिशन पर है - की लागत 188 मिलियन डॉलर है। नासा IXPE के दो साल के जीवन काल की तुलना में भारतीय उपग्रह के पांच साल से अधिक समय तक चलने की उम्मीद है।

इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर ने कहा है कि पीएसएलवी रॉकेट प्रणाली ग्लोबल परिदृश्य में सबसे विश्वसनीय और लागत प्रभावी प्रणाली के रूप में विकसित हुई है। उन्होंने बताया कि "जब हम इतिहास में पीछे मुड़कर देखते हैं, तो हमने 1993 में यह यात्रा शुरू की थी और तब से, अधिकांश मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए गए हैं।"

देश से और खबरें

2023 इसरो और देश के लिए एक शानदार साल रहा। चंद्रयान मिशन की सफलता ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाला एकमात्र देश होने का गौरव प्राप्त कर विशिष्ट अंतरिक्ष क्लब में शामिल कर दिया। 2024 में इसरो की नजरें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान लॉन्च पर केंद्रित हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें