चिदंबरम ने अदालत से कहा, ‘मेरे कमरे के बाहर कुर्सियाँ थीं। मैं दिनभर वहाँ बैठता था लेकिन अब कुर्सियों को भी हटा लिया गया है। क्योंकि मैं उनका इस्तेमाल कर रहा था इसलिए उन्होंने (जेल अधिकारियों) इन्हें हटा दिया।’ चिदंबरम ने कहा कि यहाँ तक कि जेल के वार्डन भी बिना कुर्सी के हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने चिदंबरम की रिहाई का मामला अदालत के सामने रखा था।
सिंघवी ने अदालत से कहा कि तीन दिन पहले तक चिदंबरम के पास कुर्सी थी लेकिन अब न तो उनके पास कुर्सी है और न ही तकिया। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह बहुत छोटी बात है और इसे सनसनीखेज बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है। मेहता ने कहा कि चिदंबरम के कमरे में पहले से ही कोई कुर्सी नहीं थी।
अदालत के द्वारा मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर तय किये जाने के बाद चिदंबरम की क़ानूनी टीम ने इसका विरोध किया। कपिल सिब्बल ने कहा कि बिना किसी बात के हिरासत को नहीं बढ़ाया जा सकता और हिरासत बढ़ाये जाने के पीछे क्या आधार है। सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कई फ़ैसलों का उदाहरण दिया जिनमें अदालत की ओर से कहा गया है कि हिरासत को बिना किसी कारण के नहीं बल्कि ठोस आधार पर बढ़ाया जाना चाहिए।
सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल चिदंबरम पहले ही 14 दिन की पुलिस रिमांड और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रह चुके हैं। सिब्बल ने कहा कि अगर चिदंबरम की हिरासत को बढ़ाया ही जाना है तो यह थोड़े समय के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने एम्स या राम मनोहर लोहिया अस्पताल में चिदंबरम की डॉक्टरी जाँच के संबंध में भी अदालत से अपील की।
आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ़्तारी से बचने के लिए चिदंबरम ने दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रिम ज़मानत के लिए याचिका लगाई थी और जब यह ख़ारिज हो गई तब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट से भी तत्काल राहत नहीं मिलने पर सीबीआई ने उन्हें घर से गिरफ़्तार कर लिया था।
चिदंबरम के परिवार ने मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि उनके बारे में दिखाई जा रही तमाम ख़बरें मनगढंत, बग़ैर पड़ताल के और बेबुनियाद आरोपों पर आधारित हैं। परिवार की ओर से जारी की गई चिट्ठी में पूर्व वित्त मंत्री को दानव की तरह पेश करने के लिए सरकार को ज़िम्मेदार बताया गया था। कार्ती चिदंबरम ने सरकार पर ज़ोरदार हमला बोलते हुए कहा था कि सरकार इस मामले में कोई सबूत तो पेश करे।
ख़बरों के मुताबिक़, चिदंबरम और कार्ति के ख़िलाफ़ जो केस दर्ज हुआ है, वह इंद्राणी मुखर्जी के बयान के आधार पर किया गया है। इंद्राणी मीडिया कारोबारी पीटर मुखर्जी की पत्नी हैं। लेकिन इंद्राणी मुखर्जी ख़ुद अपनी बेटी शीना बोरा के मर्डर के मामले में जेल में बंद हैं। इस मामले में बाद में उनके पति पीटर मुखर्जी को भी सीबीआई ने गिरफ़्तार कर लिया था और वह भी जेल में हैं।
इंद्राणी ने 2018 में पीटर मुखर्जी से तलाक़ की अर्जी अदालत में दाख़िल की थी और वह आईएनएक्स मीडिया मामले में सरकारी गवाह बन गई थीं। इससे साफ़ है कि इंद्राणी मुखर्जी का सरकारी गवाह बन जाना ही चिदंबरम के लिए मुसीबत साबित हुआ।
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