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भारतीय फोटो पत्रकार दानिश अफ़ग़ानिस्तान संघर्ष में मारे गए 

भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी अफ़ग़ानिस्तान संघर्ष में मारे गए। वह अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रायटर्स के लिए अफ़ग़ानिस्तान में रिपोर्टिंग कर रहे थे। अमेरिकी सुरक्षा बलों के वहाँ से निकलने के बीच अफ़ग़ानिस्तान के सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच जंग छिड़ी है। कंधार में इसी को कवर करने के दौरान शुक्रवार को दानिश सिद्दीकी संघर्ष का शिकार बन गए। वह अफ़ग़ान सुरक्षा बलों के साथ रिपोर्टिंग कर रहे थे। 

भारत में अफ़ग़ानिस्तान के एंबेसडर फरीद ममुंडज़ाय ने ट्वीट किया, 'कल रात कंधार में एक दोस्त दानिश सिद्दीकी की हत्या की दुखद ख़बर से गहरा दुख हुआ। भारतीय पत्रकार और पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता अफ़ग़ान सुरक्षा बलों के साथ थे। मैं उनसे 2 हफ्ते पहले उनके काबुल जाने से पहले मिला था। उनके परिवार और रॉयटर्स के प्रति संवेदना।'

सिद्दीकी ने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि ली थी। उन्होंने 2007 में जामिया में एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से मास कम्युनिकेशन में डिग्री हासिल की थी। पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता फ़ोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी ने एक टेलीविजन समाचार संवाददाता के रूप में अपना करियर शुरू किया था और बाद में फोटो पत्रकारिता में चले गए। वह फ़िलहाल अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम कर रहे थे। 

रॉयटर्स के अध्यक्ष माइकल फ्रिडेनबर्ग और प्रधान संपादक एलेसेंड्रा गैलोनी ने एक बयान में कहा है, 'दानिश एक उत्कृष्ट पत्रकार, एक समर्पित पति और पिता और एक बहुत प्यारे सहयोगी थे। इस मुश्किल घड़ी में हमारी संवेदनाएँ उनके परिवार के साथ हैं।'

दानिश उस देश में रिपोर्टिंग कर रहे थे जहाँ अफ़ग़ान सरकार और तालिबान के बीच भारी संघर्ष चल रहा है। अमेरिकी फौजें दशकों बाद अपने देश वापस लौट रही हैं और तालिबान अफ़ग़ानिस्तान में वापस कब्जा जमाने में लगे हैं। अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव और देश के दो-तिहाई हिस्से पर क़ब्ज़े के दावे के बीच भारत ने कंधार स्थित वाणिज्य दूतावास खाली कर दिया है। सरकार ने राजनयिकों और दूसरे कर्मचारियों समेत 50 लोगों को वापस बुला लिया है। हालाँकि भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कंधार का वाणिज्य दूतावास स्थानीय स्टाफ़ से चलता रहेगा। अब इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि उस देश में हालात कितने ख़राब हो गए हैं। 

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इन हालातों की जानकारी दानिश अपने ट्विटर हैंडल पर भी दे रहे थे। तीन दिन पहले ही यानी 13 जुलाई को उन्होंने ट्विटर पर अफ़ग़ान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच संघर्ष के बारे में ट्वीट किया था। 

उन्होंने कुछ तसवीरें ट्वीट करते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए। एक में उन्होंने लिखा था, 'अफ़ग़ान के विशेष बल, इलीट लड़ाके देश भर में विभिन्न मोर्चे पर हैं। मैं इन युवकों के साथ कुछ मिशनों पर गया। यहाँ आज कंधार में क्या हुआ (तसवीर में देखिए) जब वे एक युद्ध मिशन पर पूरी रात बिताने के बाद बचाव अभियान पर थे।'

'13 जुलाई को बाल-बाल बचे थे'

दानिश ने एक ट्वीट में लिखा है, 'जिस हम्वी में मैं अन्य विशेष बलों के साथ यात्रा कर रहा था, उसे भी कम से कम 3 आरपीजी राउंड और अन्य हथियारों से निशाना बनाया गया था। मैं भाग्यशाली था कि मैं सुरक्षित रहा और कवच प्लेट के ऊपर से टकराने वाले रॉकेटों में से एक के दृश्य को कैप्चर कर लिया।'

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने ज़मीन पर आराम करते हुए अपनी एक तस्वीर शेयर की थी और उसके साथ ट्वीट में लिखा था- ‘15 मिनट का आराम। लगातार 15 घंटे एक के बाद एक मिशन के बाद।’ 
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क़मर वहीद नक़वी
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