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जेएनयू से पढ़े अभिजीत बनर्जी को मिला अर्थशास्त्र का नोबेल 

भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। उनके साथ उनकी पत्नी एस्थर डफ़्लो और माइकेल क्रेमर को भी इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन तीनों को यह पुरस्कार विकास की अर्थव्यवस्था और ग़रीबी के कारणों पर शोध करने के लिए दिया जाएगा। 
अभिजीत बनर्जी ने कोलकाता के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढाई की और उसके बाद वे दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय आ गए। यहाँ से उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए किया। इसके पहले अर्थव्यवस्था में नोबेल पुरस्कार पाने वाले अमर्त्य सेन भी प्रेसीडेन्सी कॉलेज के ही थे। पाकिस्तानी वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुस सलाम ने भी कोलकाता के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से भौतिकी में बीएससी किया था। 
नोबेल पुरस्कार देने वाली रॉयल स्वीडिश अकेडेमी ऑफ़ साइसेंज ने इस साल के नोबेल पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, 'इन्हें अंतरराष्ट्रीय ग़रीबी को कम करने के लिए किए गए प्रयोगों की वजह से नोबेल पुरस्कार के लिए चुना जाता है।'
अकेडेमी ने यह भी कहा कि इन लोगों के प्रयोगों की वजह से सिर्फ़ दो दशक में विकास की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और पूरी दुनिया में ग़रीबी कम करने में मदद मिली है। 
अभिजीत बनर्जी ने एस्थर डफ़्लो और माइकेल क्रेमर के साथ मिल कर काम किया है। इसलिए इन तीनों को एक साथ पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार रिस्कबैंक देता है। इसमें प्रशस्तिपत्र के साथ 90 लाख स्वीडिश क्रोनर यानी लगभग 918,000 डॉलर दिए जाते हैं। 
अभिजीत फ़िलहाल अमेरिका स्थित मेसाच्यूसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने 2003 में अब्दुल लतीफ़ ज़मील पॉवर्टी एक्शन लैब की स्थापना की थी। इसका मक़सद ग़रीबी दूर करने के उपायों से जुड़े शोध करना है। अभिजीत संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उस पैनल में शामिल है, जिसे 2015 के बाद के सुधार के लिए बनाया गया था।
अभिजीत की पत्नी एस्थर अर्थशास्त्र में नोबेल पाने वाली सबसे कम उम्र की महिलाओं में एक हैं। अभिजीत के पिता दीपक बनर्जी भी अर्थशास्त्री हैं, वह कोलकाता के प्रेसीडेन्सी कॉलेज में अर्थशास्त्र पढ़ाते थे। उनकी माँ निर्मला बनर्जी भी अर्थशास्त्री हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी
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