'ख़तरा पाकिस्तानी आतंकवाद से'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'हम तुर्की के नेतृत्व से आग्रह करते हैं कि वह भारत के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी न करे। वह तथ्यों को बेहतर ढंग से समझे, जिसमें भारत और दूसरे देशों में पाकिस्तान से आतंकवाद का ख़तरा भी शामिल है।'“
'हमारे कश्मीरी भाइयों और बहनों ने दशकों से बहुत तक़लीफ़ें उठाई हैं। न्याय के आधार पर ढूंढा गया समाधान ही सबके हित में है। न्याय, शांति और बातचीत के ज़रिए कश्मीर समस्या के समाधान का समर्थन तुर्की करता रहेगा।'
एफ़एटीएफ़ में पाकिस्तान के साथ तुर्की
पाकिस्तान के नेशनल असेंबली को संबोधित करने के पीछे यह कारण समझा जाता है कि तुर्की एफ़एटीएफ़ में पाकिस्तान को काली सूची में डालने की कोशिशों का विरोध करेगा। एफ़एटीएफ़ की बैठक जल्द ही होने वाली है और समझा जाता है कि तुर्की बहुत ही मजबूती के साथ उसका बचाव करेगा। यदि उसके ख़िलाफ़ कोई प्रस्ताव रखा गया तो वह उसका विरोध करेगा।तुर्की-पाकिस्तान की नज़दीकी की दूसरी वजहें भी हैं। मलेशिया और तुर्की मिल कर सऊदी अरब के समानान्तर एक मुसलिम संगठन खड़ा करना चाहता है। इस कोशिश में ही वह पाकिस्तान का साथ दे रहा है। भारत का मौजूदा नेत़त्व इस गुट में शामिल होकर सऊदी अरब और उसके बहावीवाद को बढ़ने से रोकने की कोशिशें करने के बजाय इन दोनों देशों से उलझ रहा है।
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