भारत ने दिल्ली में तैनात ईरानी राजदूत को तलब कर दिल्ली दंगों पर तेहरान के बयान पर आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय ने राजदूत अली चेगेनी को अपने दफ़्तर बुलाया और ईरानी विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ के बयान पर आपत्ति दर्ज की, उन्हें एक विरोध पत्र भी दिया।
इसके पहले ज़रीफ़ ने दिल्ली दंगों की निंदा की थी और कहा था कि 'भारतीय मुसलमानों के ख़िलाफ़ संगठित हिंसा की लहर चली है।' उन्होंने इसके साथ ही यह अपील भी की थी कि 'इस तरह की बेमतलब की हिंसा को नहीं फैलने देना चाहिए।'
जवाद ज़रीफ़ ने कहा:
“
'ईरान भारतीय मुसलमानों के ख़िलाफ़ सुनियोजित हिंसा की लहर की निंदा करता है। ईरान सदियों से भारत का दोस्त रहा है। हम भारत से अपील करते हैं कि वह सभी भारतीयों की कुशलता सुनिश्चित करे और बेमतलब की हिंसा न फैलने दे। शांतिपूर्ण बातचीत और नियम क़ानून सुनिश्चित करना ही इसके बीच का रास्ता हो सकता है।'
जवाद ज़रीफ़, विदेश मंत्री, ईरान
ज़रीफ़ से पहले इंडोनेशिया, तुर्की और पाकिस्तान इन दंगों को लेकर टिप्पणी कर चुके हैं। उससे पहले मलेशिया और बांग्लादेश भी नागरिकता संशोधन क़ानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) को लेकर टिप्पणी कर चुके हैं। भारत की ओर से अभी तक ईरान के विदेश मंत्री के ट्वीट को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की गई है जबकि भारत ने तुर्की और पाकिस्तान की टिप्पणियों का जवाब दिया था।
इससे पहले इंडोनेशिया ने जकार्ता में भारतीय राजदूत को बुलाकर दिल्ली में हुए दंगों को लेकर चिंता ज़ाहिर की थी। इंडोनेशिया के धार्मिक मामलों के मंत्री ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा को लेकर बयान जारी करते हुए हिंसा की निंदा की थी। दिल्ली के दंगों को लेकर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने भी पिछले सप्ताह दावा किया था कि भारत में मुसलमानों का बड़े पैमाने पर नरसंहार हो रहा है।
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