भारत में सच और मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने वालों के लिए यह खबर राहत भरी हो सकती है। प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने बताया कि भारत के फैक्ट-चेकर्स मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा 2022 का नोबेल शांति पुरस्कार जीतने के दावेदारों में शामिल हैं। अन्य दावेदारों में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की, ग्रेटा थनबर्ग, विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के नाम हैं। जेलेंस्की के लॉबिंग जबरदस्त है और पूरी संभावना है कि उन्हें इस बार का नोबेल मिलेगा। लेकिन भारत से मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा का नाम कम चौंकाने वाला नहीं है। नोबेल जीतने वालों के नाम शुक्रवार को घोषित किए जाने की संभावना है।
टाइम मैगजीन के अनुसार, AltNews के सह-संस्थापक, सिन्हा और जुबैर को नामांकन के आधार पर पुरस्कार जीतने के दावेदारों में से हैं। इन दोनों को नॉर्वेजियन सांसदों, पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो (पीआरआईओ) ने नोबेल देने की सिफारिश की थी।
जुबैर का जीवन संघर्षपूर्ण है। वो मूल रूप से पत्रकार हैं और प्रतीक सिन्हा के साथ मिलकर ऑल्ट न्यूज स्थापित किया। जिसका काम था फैक्ट चेक करना। लेकिन जुबैर का यह काम बहुत जल्द राजनीतिक दलों के नेताओं को चुभने लगा।
दिल्ली पुलिस की एफआईआर के अनुसार, जुबैर को इस साल जून में 2018 के एक ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने उन पर धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए जानबूझकर काम करने का आरोप लगाया। इस तरह की एफआईआर हिन्दू संगठनों ने देश में कई जगह दर्ज कराई। जिसमें यूपी प्रमुख है।
फैक्ट चेकर की गिरफ्तारी ने ग्लोबल आक्रोश को जन्म दिया, अमेरिकी संगठनों को पत्रकारों की रक्षा करने के लिए एक बयान जारी करने के लिए प्रेरित किया, उसने कहा था - भारत में प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है। वहां सरकार ने साम्प्रदायिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग वाले सदस्यों के लिए एक शत्रुतापूर्ण और असुरक्षित वातावरण बना दिया है। लंबी जद्दोजेहद के बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के एक महीने बाद जुबैर तिहाड़ जेल से बाहर आ गए।
2022 के नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में लगभग 343 उम्मीदवार हैं - इसमें 251 शख्सियतें और 92 संगठन हैं। हालांकि नोबेल समिति नामांकित व्यक्तियों के नामों की घोषणा नहीं करती है, न तो मीडिया को जानकारी दी जाती है और न ही उम्मीदवारों को बताया जाता है।
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