प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए एलान किया कि देश में एक भी डिटेंशन सेंटर (बंदी गृह) नहीं है, कुछ लोग ग़लत नीयत से दुष्प्रचार कर रहे हैं। पर सच यह है कि देश का सबसे बड़ा डीटेंशन सेंटर असम के ग्वालपाड़ा ज़िले के मटिया में बन रहा है।
यहाँ चार तल्ले के 15 मकान बन रहे हैं, जिनमें कुल 3 हज़ार लोगों के रहने की व्यवस्था होगी। इनमें से 13 मकान पुरुषों के लिए और 2 मकान स्त्रियों के लिए बन रहे हैं।
यह डिटेंशन सेंटर 2.5 एकड़ ज़मीन में बन रहा है। इस पर 46 करोड़ रुपए खर्च होंगे और वह पैसा केंद्र सरकार ने दिया है।
इस डिटेंशन सेंटर में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग सेल बनाए गए हैं। डिटेंशन सेंटर का 70 फ़ीसदी काम पूरा कर लिया गया है। बिना किसी छुट्टी के क़रीब 300 मज़दूर दिन-रात इस निर्माण कार्य को पूरा करने में लगे है।
इस निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 31 दिसंबर 2019 की डेडलाइन मिली थी। समझा जाता है कि उस समय तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा।
अमेरिका में मौजूद डिटेंशन सेंटर के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर होगा। इसके अंदर अस्पताल और ठीक गेट के बाहर प्राइमरी स्कूल से लेकर सभागार और बच्चों और महिलाओं की विशेष देखभाल के लिए तमाम सुविधाएँ होगी।
असम सरकार ने एक सवाल के जवाब में विधानसभा में कहा कि उसने ऐसे 10 डिटेंशन सेंटर बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है, उसे जवाब का इंतजार है।
राजधानी गुवाहाटी से 150 किलोमीटर दूर ग्वालपाड़ा ज़िले में खेतों के बीच यह बंदी गृह केंद्र सरकार के दिशा निर्देश पर बनाया जा रहा है। यह दिशा-निर्देश जनवरी 2019 में जारी किया गया था। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में विस्तार से बताया कि दिशा निर्देश में क्या है और किस तरह की सुविधाएँ दी जाएंगी। उन्होंने कहा :
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अवैध विदेशियों को बाहर भेजे जाने तक बंदी गृह में रखा जाएगा, इसके लिए मॉडल डीटेंशन सेंटर मैनुअल तैयार किया गया है। इसमें बुनियादी मानाधिकारों को देखते हुए न्यूनतम सुविधाएँ देने की व्यवस्था की जाएगी। इसमें रसोई घर, टॉयलेट, पीने के पानी, बिजली, संचार सुविधाओं का ख्याल रखा जाएगा। यह ख्याल भी रखा जाएगा कि एक परिवार के लोगों को एक ही बंदी गृह में रखा जाएगा।
नित्यानंद राय, गृह राज्य मंत्री
इसके अलावा 16 जुलाई 2019 को गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में भी इसी तरह की बात की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि हर केंद्र शासित क्षेत्र और राज्य सरकार से कहा गया है कि वह अपने इलाक़े में डिटेंशन सेंटर बनवाए।
इसके अलावा 2 जुलाई 2019 को गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में भी इसी तरह की बात की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि डिटेंशन सेंटर में अवैध विदेशियों को तब तक रखा जाएगा जब तक उन्हें बाहर नहीं कर दिया जाता।
असम में पिछले 10 वर्षों से 6 डिटेंशेन कैंप हैं और सरकार के मुताबिक़ क़रीब 1,000 लोग फ़िलहाल राज्य के डिटेंशेन कैंपों में क़ैद हैं। ये अलग से बनाए गए डीटेंशन कैंप नही है, इन्हें जेल परिसर में ही बनाया गया है।
ये कैंप राज्य के सिलचर, ग्वालपाड़ा, कोकराझार, तेज़पुर, जोरहट और डिब्रूगढ़ ज़िलों में हैं। ख़ास बात यह है कि ऐसे मामलों की सुनवाई विशेष रूप से बनी विदेशी ट्राइब्यूनल में ही शुरू हो सकती है। ट्राइब्यूनल यदि अवैध नागरिक घोषित कर दे तो उस व्यक्ति को डिटेंशन सेंटर भेज दिया जाता है। असम के एनआरसी की अंतिम सूची में 19 लाख लोगों के नाम छूट गए हैं, जिन पर अवैध नागरिक होने की तलवार लटक रही है।
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