भारत में भी पहली बार नये क़िस्म के कोरोना से संक्रमित मरीज़ पाए गए हैं। छह लोगों में नया स्ट्रेन या नये क़िस्म का कोरोना पाया गया है। ये सभी ब्रिटेन से लौटे थे। हाल के दिनों में ब्रिटेन से लौटे लोगों की विशेष कोरोना जाँच की गई है जिनमें से इन 6 लोगों में इस नये क़िस्म के कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है।
ब्रिटेन में पाये गए इस नये क़िस्म के कोरोना का पूरी दुनिया में इसलिए खौफ है क्योंकि यह 70 फ़ीसदी अधिक तेज़ी से फैल रहा है। इसी कारण दुनिया के कई देशों ने ब्रिटेन के लिए अपनी उड़ानें रद्द कर दी हैं। भारत ने भी ऐसा ही सख़्त फ़ैसला लिया था। इसको फैलने से रोकने के लिए तैयारी की गई है। कई राज्यों में रात का कर्फ़्यू भी लगाया गया है।
कोविड के लिए गठित नेशनल टास्क फ़ोर्स ने तीन दिन पहले ही शनिवार को नये क़िस्म के कोरोना को लेकर अपनी योजना बताई है। नये क़िस्म के कोरोना को रोकने के लिए टास्क फ़ोर्स की योजना मुख्य तौर पर वही है जो शुरुआत में कोरोना फैलने के दौरान अपनायी गई थी। यानी नये क़िस्म के कोरोना मरीज़ का ट्रेस यानी पता लगाना, डिटेक्ट यानी पहचान करना और कंटेन करना यानी फैलने से रोकना।
नेशनल टास्क फ़ोर्स का गठन कोरोना वायरस पर नियंत्रण के लिए सुझाव देने के लिए किया गया था। ब्रिटेन सहित कई देशों में नये क़िस्म के कोरोना संक्रमण की ख़बरों के बीच भारत में नेशनल टास्क फ़ोर्स ने शनिवार को बैठक की थी।
टास्क फ़ोर्स ने कई क़िस्मों के कोरोना वायरस को ट्रेस करने के लिए नियमित जीनोमिक निगरानी की ज़रूरत के लिए भी सहमति व्यक्त की। जीनोमिक निगरानी से मतलब है- लोगों की जीन आधारित जाँच से निगरानी।
नेशनल टास्क फ़ोर्स ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया कि ब्रिटेन से वापस आने वालों के अलावा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 5 प्रतिशत पॉजिटिव केसों के नमूने जीनोम अनुक्रमण से जाँच के लिए भेजे जाएँगे।
बैठक का नेतृत्व नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने किया था। इसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स के सदस्यों के साथ-साथ शीर्ष स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे। इसने इस पर नियंत्रण के लिए निगरानी की रणनीति पर ज़ोर दिया।
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नेशनल टास्क फोर्स ने कहा है कि यूनाइटेड किंगडम में उभर रहे म्यूटेशन यानी नये स्ट्रेन या नये क़िस्म के कोरोना के मद्देनज़र मौजूदा उपचार प्रोटोकॉल को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है।
इसमें आगे यह भी कहा गया है कि नये क़िस्म के वायरस को सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ की स्वच्छता, मास्क पहनने और जब भी एक प्रभावी टीका उपलब्ध हो तब उससे ही इसे रोका जा सकता है।
ब्रिटेन से जब पहली बार नये क़िस्म के कोरोना की यह ख़बर आई थी तो दुनिया भर में नये सिरे से चिंता व्याप्त हो गई। जब ब्रिटेन में सख़्त लॉकडाउन लगाया गया और अधिकारियों ने कहा कि नये क़िस्म का कोरोना 'बेकाबू' हो गया तो यह चिंता और ज़्यादा बढ़ गई। इसके बाद दुनिया में एक के बाद एक कई देशों ने ब्रिटेन की उड़ानों पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया था।
हालाँकि, ब्रिटेन अकेला देश नहीं है जहाँ म्यूटेशन वाले कोरोना का नया रूप सामने आया है। डेनमार्क, जिब्राल्टर, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इटली में भी नये क़िस्म का वायरस मिला है। अब तक ब्रिटेन में जो नये क़िस्म का कोरोना वायरस मिला है उसी के मरीज़ कई देशों में पाए गए हैं।
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