रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 12 महीनों के दौरान भारत में 32 अरबपति जुड़े, जो लगभग 21% की वृद्धि है, और 2015 के बाद से दोगुने (123%) से भी अधिक है। पिछले वर्ष के दौरान, भारत में अरबपतियों की कुल संपत्ति 42.1% बढ़कर 905.6 बिलियन डॉलर हो गई।
अमेरिका में पिछले दस वर्षों में सिर्फ 84 अरबपति जुड़े जबकि चीन में यह संख्या घटकर 93 तक पहुंच गई। अमेरिका में अरबपतियों की संयुक्त संपत्ति 4.6 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 5.8 ट्रिलियन डॉलर हो गई, जबकि चीन में गिरावट हुई और वो 1.8 ट्रिलियन डॉलर से गिरकर 1.4 ट्रिलियन डॉलर हो गई।
कुल मिलाकर, 2015 और 2024 के बीच, दुनिया में अरबपतियों की कुल संपत्ति 121% बढ़कर 6.3 ट्रिलियन डॉलर से 14 ट्रिलियन डॉलर हो गई, जबकि इसी अवधि के दौरान अरबपतियों की संख्या 1,757 से 2,682 तक पहुंच गई।
इसमें कहा गया, “पारिवारिक व्यवसायों (फेमिली बिजनेस) ने भारत के आर्थिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध पारिवारिक स्वामित्व वाले व्यवसायों में सबसे अधिक संख्या में से एक है, जो कई पीढ़ी दर पीढ़ी फलते-फूलते रहे हैं।'' यानी टाटा समूह, अंबानी समूह, बिड़ला समूह, पीरामल समूह आदि फेमिली बिजनेस की श्रेणी में हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी फलफूल रहे हैं।
भारत सहित तमाम देशों में रियल एस्टेट सेक्टर ग्रोथ दर्ज करने में पिछड़ गया। रियल एस्टेट में पूरी दुनिया में उसकी संपत्ति 2015 में 534 बिलियन डॉलर से मामूली बढ़कर 2024 में 692.3 बिलियन डॉलर हो गई। इसकी खास वजह चीन के प्रॉपर्टी मार्केट में करक्शन, वाणिज्यिक रियल एस्टेट पर करोना महामारी का प्रभाव और अमेरिका और यूरोप में बढ़ती ब्याज दरें शामिल हैं।
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