चंद्रयान-3 ने दोपहर 2.35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से उड़ान भर ली। इसका पहला चरण पूरी तरह सफल रहा। चंद्रयान की यात्रा जारी रहेगी। 40 दिन में इसके चांद पर पहुँचने की उम्मीद है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से एलवीएम3 रॉकेट पर चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण हुआ। इसरो चंद्रमा की सतह पर एक रोबोटिक लैंडर को सॉफ्ट टचडाउन करने का अपना दूसरा प्रयास शुरू करेगा। अगर सॉफ्ट-लैंडिंग सफल रही तो भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। गुरुवार दोपहर को प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू हुई थी।
चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण को यहाँ देखा जा सकता है।
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) July 12, 2023
Mission Readiness Review is completed.
The board has authorised the launch.
The countdown begins tomorrow.
The launch can be viewed LIVE onhttps://t.co/5wOj8aimkHhttps://t.co/zugXQAY0c0https://t.co/u5b07tA9e5
DD National
from 14:00 Hrs. IST…
पहली बार भारत का चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, जहां पानी के अणु पाए गए हैं। 2008 में भारत के पहले चंद्रमा मिशन के दौरान इसकी खोज की गई थी।
इसरो का कहना है कि पिछले चंद्रमा मिशन से सीखते हुए उसने लैंडर पर इंजनों की संख्या पांच से घटाकर चार कर दी है और सॉफ्टवेयर को अपडेट किया है। हर चीज़ का सख्ती से परीक्षण किया गया है।
सोमनाथ ने बताया कि नए मिशन को कुछ तत्वों के विफल होने पर भी सफलतापूर्वक उतरने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सेंसर विफलता, इंजन विफलता, एल्गोरिदम विफलता और गणना विफलता सहित कई परिदृश्यों की जाँच की गई और उनसे निपटने के लिए उपाय किए गए।
चंद्रयान-3 मिशन में असफल 2019 मिशन से कई तकनीकी सीख ली गई है। चंद्रयान-3 मिशन में चंद्रयान-2 मॉड्यूल की तरह ऑर्बिटर मॉड्यूल नहीं है और लैंडर के भीतर केवल लैंडर और एक रोवर है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर जो अभी भी अंतरिक्ष में मौजूद है, चंद्रयान-3 के लिए संचार कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों ने विज्ञान मिशन के लिए आशीर्वाद लेने के लिए गुरुवार को आंध्र प्रदेश में अलग-अलग मंदिरों का दौरा किया। इसरो अध्यक्ष ने श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल के पास सुल्लुरपेट में एक मंदिर का दौरा किया, जबकि परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों के एक समूह ने तिरुपति मंदिर का दौरा किया।
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