loader

विदेश मंत्री : 1962 के बाद से अब तक की सबसे गंभीर स्थिति

सरकार ने आधिकारिक तौर पर यह माना है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सबसे गंभीर स्थिति है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यह कहा है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके पहले सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि 'भारत की सीमा के अंदर न कोई घुसा है न ही घुस कर बैठा है।' विदेश मंत्री का यह बयान स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री के बयान के उलट है, मौजूदा स्थिति को दर्शाता है। इससे सरकार की चिंता भी साफ़ होती है।
तीन महीने पहले चीनी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की और भारतीय ज़मीन पर कब्जा कर बैठ गई। कई दौर की बातचीत होने के बावजूद चीन हटने कौ तैयार नहीं है । भारत सरकार भी यह मानने को तैयार नहीं है कि चीन भारत की ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर बैठा है। ऐसे में विदेश मंत्री ने का यह बयान सरकार की तरफ़ से एक तरह की स्वीकारोक्ति है चीनी कब्जे की, अन्यथा विदेश मंत्री जयशंकर क्यों कहते कि 1962 की लड़ाई के बाद का सबसे बडा संकट है । 
देश से और खबरें
जयशंकर ने रेडिफ़. कॉम से बात करते हुए कहा, 

'1962 के बाद से अब तक की यह सबसे गंभीर स्थिति है। दरअसल इस सीमा पर 45 साल बाद दोनों देशों के सैनिक हताहत हुए हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों ने इससे पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात नहीं किया था।'


एस. जयशंकर, विदेश मंत्री

याद दिला दें कि मई के पहले सप्ताह से ही लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव है क्योंकि चीनी सेना भारतीय इलाक़े में घुस आई और वहां से पीछे हटने से इनकार कर दिया। दोनों देशों के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए और घायल हुए। भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए।

बातचीत नाकाम

भारतीय सेना और पीपल्स लिबरेशन आर्मी के बीच 5 दौर की बातचीत के अलावा राजनीतिक व राजनयिक स्तर पर कई बार बातचीत होने के बावजूद चीनी सैनिक टस से मस नहीं हो रहे हैं। अभी भी 40 हज़ार चीनी सैनिक भारत की ज़मीन पर हैं।
विदेश मंत्री ने यह भी कहा है कि 'उन्होंने चीन से साफ़ कह दिया है कि सीमाई इलाक़े में शांति ही दोनों देशों के बीच के रिश्ते की आधारशिला हो सकती है।'

कूटनीति कारगर नहीं?

जयशंकर ने रेडिफ़. कॉम से बातचीत के दौरान कहा, 'हम बीते तीन दशकों पर नज़र डालें तो स्थिति बिल्कुल साफ़ है। कई दौर की सैन्य व कूटनीतिक बातचीत के बावजूद पूर्वी लद्दाख में चीनी और भारतीय सेना तनावपूर्ण स्थिति में एक दूसरे के सामने साढ़े तीन महीने से खड़ी हैं।'
उन्होंने कहा, 'इसके पहले भी दोनों देशों में सीमा पर तनाव हुए हैं, पर उनका निपटारा हो गया है, डेपसांग, चुमार और डोकलाम में ऐसा हुआ। ये हर मामले एक दूसरे से अलग थे, यह मामला भी निश्चित रूप से अलग है। पर एक बात सबमें समान है कि कूटनीति के जरिए सभी मामलों का निपटारा हो गया।'
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि इस समस्या का समाधान भी पहले के क़रारों का सम्मान करते हुए होना चाहिए और यथास्थिति को बदलने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।
एस. जयशंकर का यह बयान ऐसे समय आया है जब चीन में भारत के राजदूत विवेक मिस्री की राजनयिक कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो में विदेश मामले देख रहे सर्वोच्च सदस्य से मुलाकात की। उसके बाद उन्होंने चीन के मिलिटरी आयोग के उपाध्यक्ष से भी बात की। इसके बावजूद चीनी सेना भारतीय ज़मीन नहीं छोड़ रही है, वह उसे अपना बता रही है और पीछे हटने से इनकार कर रही है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

इंडिया गठबंधन से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें