भारत की सीमाओं पर नज़रें गड़ाए बैठा चीन एक बार फिर गड़बड़ी करने की कोशिश कर रहा है। भारत ने कहा है कि सीमा पर बड़ी संख्या में चीन के जवान इकट्ठा हो चुके हैं और यह एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफ़ा कोशिश है। भारत ने ड्रैगन को चेताया है कि इस तरह की हरक़तें दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन है।
इससे पहले चीन ने कहा था कि इस इलाक़े में उसके सैनिकों की तैनाती का मसला सामान्य रक्षा इतंजाम है और ऐसा उसकी सीमा पर किसी भी तरह के अतिक्रमण को जवाब देने के लिए किया गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरूवार को कहा कि हम यह जानते हैं कि चीन पिछले साल से इस तरह की हरक़तें कर रहा है, इसके तहत वह पश्चिमी क्षेत्र के सीमाई इलाक़ों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती करता है और एलएसी में एकतरफ़ा बदलाव करने की कोशिश करता है।
बागची ने कहा कि इससे सीमाई इलाक़ों में शांति भंग होती है। उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के बीच 1993 और 1996 में हुए द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है। इन समझौतों में कहा गया है कि दोनों ही पक्ष एलएसी को पूरी तरह मानेंगे और इसके आसपास के इलाक़ों में सैनिकों की कम संख्या में तैनाती करेंगे।
गलवान में हुई थी मुठभेड़
पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे जबकि काफी ना-नुकुर के बाद चीन के केंद्रीय मिलिट्री कमीशन ने इस बात को माना था कि कराकोरम पहाड़ियों में उसके फ्रंटियर अफ़सर और सिपाही मारे गए थे और इनकी संख्या 5 थी जबकि कुछ अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसियों ने इसकी संख्या ज़्यादा बताई थी।
रूस की आधिकारिक न्यूज़ एजेंसी टास ने ख़बर दी थी कि गलवान की मुठभेड़ में चीन के 45 सैनिक मारे गए थे।
गलवान की हिंसक मुठभेड़ के बाद कई महीने तक दोनों देशों के बीच राजनयिक, सैन्य वार्ताओं का दौर चला और इस साल फरवरी में दोनों देशों ने पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया था। इस तरह की वार्ताएं अभी भी जारी हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि अप्रैल, 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल हो जाएगी। उन्होंने कहा था कि चीन के साथ कई दौर की वार्ता के बाद भारत ने कुछ नहीं खोया है और कई मुद्दों पर अभी वार्ता की जानी है।
इसके बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोला था और कहा था कि सरकार की कायराना हरक़तों के कारण देश को भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी। राहुल ने ट्वीट कर कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी आक्रमण के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
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