देश रविवार को अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। गणतंत्र दिवस परेड में सेना के शौर्य से लेकर भारतीय संस्कृति और कुंभ मेला से लेकर किसानों तक की झाँकियों का प्रदर्शन किया गया। कर्तव्य पथ पर आयोजन हुआ। समारोह में पीएम मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो शामिल हुए। गणतंत्र दिवस परेड से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति मुर्मू और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुबियांटो का कर्तव्य पथ पर स्वागत किया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में हजारों लोग शामिल हुए। इस साल इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो मुख्य अतिथि थे। समारोह में उनके साथ ही देश की सैन्य टुकड़ियों ने भी मार्च-पास्ट में भाग लिया।
देश की सैन्य शक्ति और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दिखाने के लिए कर्तव्य पथ पर भव्य परेड निकाली गई। इस वर्ष का समारोह विशेष रहा क्योंकि यह संविधान के अधिनियमन की प्लैटिनम जयंती है।
कर्तव्य पथ पर मुख्य समारोह के दौरान 'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' थीम पर 31 झांकियां उतरीं। पहली बार तीनों सेनाओं की झांकी में सशस्त्र बलों के बीच एकजुटता और एकीकरण की भावना को दर्शाया गया।
पहली बार कम से कम 5,000 कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन पूरे कर्तव्य पथ पर किए गए। परेड सुबह 10.30 बजे शुरू हुई। समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के दौरे से हुई, जहां उन्होंने शहीद नायकों को श्रद्धांजलि दी। परेड की शुरुआत 300 सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों से मंगाए गए संगीत वाद्ययंत्रों के साथ 'सारे जहां से अच्छा' बजाकर की गई।
'सशक्त और सुरक्षित भारत' थीम पर तीनों सेनाओं की झांकी में तीनों सेनाओं के बीच नेटवर्किंग और संचार की सुविधा प्रदान करने वाला एक संयुक्त संचालन कक्ष दिखाया गया। एक अन्य मुख्य आकर्षण 'विकसित भारत की ओर सदा सर्वोपरि' थीम पर दिग्गजों की झांकी रही।
नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व तीनों सेवाओं की अनुभवी महिला अधिकारियों ने किया। कर्तव्य पथ पर मार्च करने वाली टुकड़ियों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 148 सदस्यीय महिला मार्चिंग टुकड़ी भी रही। गणतंत्र दिवस समारोह हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर आयोजित होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह के साथ समाप्त होगा। यह सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है।
राष्ट्रपति का देश के नाम संबोधन
राष्ट्रपति ने कहा, 'हमें 1947 में आज़ादी मिली, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष हमारे बीच लंबे समय तक बने रहे। हाल ही में हम उस मानसिकता को बदलने के लिए ठोस प्रयास देख रहे हैं। ऐसे प्रयासों में सबसे अहम भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम से बदलने का निर्णय था।'
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