भारत-चीन तनाव के बीच दोतरफा आर्थिक रिश्ते तेज़ी से बिगड़ रहे हैं। भारत ने क्लोन किए हुए 47 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये वे ऐप्स हैं, जिन्हें पहले के मूल चीनी ऐप्स को क्लोन कर वैसा ही बनाया गया था।
याद दिला दें कि भारत सरकार ने इसके पहले टिकटॉक, वीचैट, हलो लाइट, शेयरइट और बिगो लाइव जैसे 59 ऐप्स पर रोक लगा दी थी। उस समय सरकार का कहना था कि इससे भारत की सुरक्षा को ख़तरा है और यह देश की सार्वभौमिकता को चुनौती मिलती है।
कारण क्या है?
मंत्रालय के एक आला अफ़सर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'कुछ ऐप्स के कामकाज के तरीके से हमें दिक्क़त है। भविष्य में जो ऐप्स इस तरह का काम करेंगे, उन पर प्रतिबंध लगता रहेगा।'
मंत्रालय के कहने का कुल मिला कर अर्थ यह है कि इन ऐप्स से डाटा चीन सरकार की एजेन्सियों को मिल रहा था, इसलिए उन्हें प्रतिबंधित किया गया।
सरकार का यह भी कहना है कि कुछ ऐप्स ने अपने डाटा चोरी छिपे ढंग से और अनधिकृत तरीके से देश के बाहर भेज दिए। यह गंभीर चिंता की बात है।
क्या है चीन का नियम?
चीन के नियम के अनुसार, वहाँ की कंपनियों के बनाए ऐप्स के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपने डेटा सरकारी एजेन्सी को दें। यह बात उन ऐप्स पर समान रूप से लागू है जो चीन के बाहर काम करते हैं। इस तरह भारत में काम कर रहे ऐप्स भले ही वे क्लोन्ड ही क्यों न हों, चीनी एजेन्सियों को डेटा देने को बाध्य हैं।
भारत के पास यह प्रौद्योगिकी है, जिससे वह यह पता लगा सकता है कि ये डेटा कहां जा रहे हैं और उनका कोड क्या है।
इनमें से कुछ ऐप्स ऐसे हैं जो किसी चीनी कंपनी के बनाए नहीं है, या जिनके मुख्यालय सिंगापुर जैसी जगहों पर हैं। पर इनके सर्वर चीन में होने से ये डेटा चीन जाते ही हैं। इस पर रोक लगाने के लिए ही सरकार ने ऐप्स को ही प्रतिबंधित कर दिया।
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