1 जून को जब लोकसभा चुनाव के आख़िरी चरण का मतदान हो रहा होगा तो इंडिया गठबंधन के शीर्ष नेता बैठक कर आगे की रणनीतियाँ रहे होंगे। ऐसा मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है। 4 जून को मतगणना से पहले आख़िर इंडिया गठबंधन की यह बैठक क्यों है? क्या चुनाव बाद की स्थिति के मद्देनज़र बैठक हो रही है या फिर कुछ और वजह है?
रिपोर्टों के अनुसार इंडिया गठबंधन के सभी सहयोगियों को बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। कहा गया है कि यह बैठक चुनावों की समीक्षा करने और गठबंधन के भविष्य के कदमों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई है।
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब चुनाव विशेषज्ञ, चुनावी पर्यवेक्षक बीजेपी को स्पष्ट बहुमत से दूर रहने की संभावना जता रहे हैं। अधिकतर रिपोर्टों में बीजेपी की सीटें पिछले चुनाव से कम होने की बात कही जा रही है। हालाँकि, बीजेपी ने '400 पार' का नारा दिया है और कहा है कि उसका गठबंधन एनडीए सरकार बनाएगा।
इधर, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेता लगातार दावा कर रहे हैं कि इंडिया गठबंधन बहुमत पा लेगा और यह सरकार बनाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर राहुल गांधी और अखिलेश से लेकर तेजस्वी तक सरकार बनाने दावा कर रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि इंडिया गठबंधन एनडीए का सफाया करने के लिए तैयार है।
जयराम रमेश ने कहा कि 'यह साफ़ हो गया है कि वे (बीजेपी) दक्षिण में साफ हैं, और उत्तर में, पश्चिम में और पूर्व में आधे में हैं।' बीजेपी से मुक़ाबला करने के लिए 28 विपक्षी दलों ने 'इंडिया' नाम का गठबंधन बनाया है।
तो सवाल है कि चुनावी नतीजे से पहले यदि इंडिया गठबंधन को बैठक करना ही था तो यह 2 या तीन जून को क्यों नहीं, आखिरी चरण के चुनाव के दिन ही क्यों? खास बात यह है कि यह बैठक उस दिन रखी गई है जिस दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का आख़िरी दिन है। केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 2 जून को तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण करना होगा।
केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप ने दिल्ली, गुजरात, गोवा, चंडीगढ़ और हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ा। हालाँकि, दोनों पार्टियाँ पंजाब की 13 सीटों के लिए 1 जून को होने वाला चुनाव अलग-अलग लड़ रही हैं।
गठबंधन की पहली बैठक जून 2023 में पटना में आयोजित की गई थी। तब से अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं। पटना बैठक की मेजबानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी। हालाँकि, बाद में नीतीश कुमार का जनता दल-यूनाइटेड एनडीए में शामिल हो गया।
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