अगले कुछ महीनों में आम चुनाव होने को हैं और ऐसे में देश के राजनीतिक दलों की आमदनी कम हो गई है। छह में से पांच पार्टियों की इस साल की आमदनी पिछले साल की आय से कम है। लेकिन सबसे ज़्यादा कमी बहुजन समाज पार्टी की आमदनी में हुई है।
असोशिएसन फ़ॉर डेमक्रैटिक रिफ़ॉर्म्स (एडीआर) ने अपने अध्ययन में पाया है कि तीन बार उत्तर प्रदेश में सरकार चला चुके दल की माली हालत अच्छी नहीं है। पार्टी के दिए ब्योरे को सही माना जाए तो वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान बीएसपी की आमदनी में पिछले साल के मुक़ाबले दो-तिहाई से भी ज़्यादा की गिरावट हुई है। इसकी आमदनी 173.58 करोड़ रुपये से घट कर 51.69 करोड़ रुपये हो गई, यानी 121.89 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई।दूसरी ओर, केंद्र की सत्ता पर काबिज़ भारतीय जनता पार्टी की आमदनी में इस साल तक़रीबन 7 करोड़ रुपये की कमी आई है जो कि पिछले साल के मुक़ाबले क़रीब आधा प्रतिशत कम है। इसे मामूली कमी ही कहा जा सकता है। इस पार्टी को वित्तीय वर्ष 2016-17 में 1,034.27 करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान इसकी आमदनी गिर कर 1,027.34 करोड़ रुपये हो गई। कुल आय में 6.93 करोड़ रुपये की गिरावट हुई।
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कांग्रेस ने इस साल आय का ब्यौरा नहीं दिया है। लेकिन इसे बीते साल 225.36 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी। यह बीजेपी की आय 1034.27 करोड़ रुपये की एक-चौथाई से भी कम है।
सिर्फ़ एक राजनीतिक दल है जिसकी आमदनी इस दौरान बढ़ी है और वह है भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)। सीपीएम की आय इस दौरान 100.26 करोड़ रुपये से बढ़ कर 104.85 करोड़ रुपये हो गई।
इन राजनीतिक दलों की यह आय निजी चंदे, संस्थागत चंदा, सभा वगैरह में मिलने वाली राशि, सांसदों-विधायकों से मिलने वाले चंदे, आजीवन सहयोग निधि वगैरह से हुई। पर सबसे ज़्यादा आमदनी इलेक्टोरल बॉण्ड से हुई है। कोई भी कंपनी, संस्था या आदमी किसी बैंक से किसी दल के नाम से बॉण्ड ख़रीद सकता है। वह पैसा उस पार्टी को मिल जाता है। लेकिन बॉण्ड ख़रीदने वाले का नाम नहीं पता चलता है। लिहाज़ा, यह नहीं मालूम होता है कि किस दल को किसने कितने पैसे दिए हैं।
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