कोरोना संक्रमण की घातकता को लेकर वैसे तो लोगों को अब साफ़-साफ़ पता चल गया है, लेकिन हाल में आई एक शोध रिपोर्ट से इसकी पुष्टि होती है कि कोरोना से ठीक होने के बाद का असर भी काफ़ी घातक रहा है! एक शोध में पाया गया है कि मध्यम से गंभीर कोरोना संक्रमण के साथ अस्पताल में भर्ती कराए गए लोगों में से 6.5% मरीजों की एक वर्ष की अवधि में ही मौत हो गई।
यह शोध भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर के तहत किया गया है। यह शोध 31 अस्पतालों के 14,419 मरीजों के आँकड़ों पर आधारित है। इन अस्पतालों ने इन मरीजों का एक साल तक फोन पर फॉलो-अप किया था।
अमेरिका की स्वास्थ्य नियामक सीडीसी के अनुसार लॉन्ग कोविड यानी लंबे समय तक रहने वाले कोविड में स्वास्थ्य समस्याएँ कई सप्ताह, महीने या कई वर्षों तक बनी रह सकती हैं। लॉन्ग कोविड अक्सर उन लोगों में होता है जिन्हें गंभीर कोविड बीमारी थी। हालाँकि उस वायरस से संक्रमित किसी भी व्यक्ति को इसका अनुभव हो सकता है। जिन लोगों को कोविड के खिलाफ टीका नहीं लगाया गया है और वे संक्रमित हो जाते हैं, उनमें टीका लगवा चुके लोगों की तुलना में लॉन्ग कोविड विकसित होने का ख़तरा अधिक हो सकता है। जब कोई व्यक्ति कोरोना से दोबारा संक्रमित होता है तो उसे लॉन्ग कोविड होने का ख़तरा होता है।
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