आधार डाटा लीक नहीं होने के लगातार दावों के बीच अब आईसीएमआर डाटा चोरी के आरोप में 4 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। क़रीब दो महीने पहले अक्टूबर में ही 81 करोड़ डाटा बिक्री के लिए डार्क वेब पर डाले जाने की रिपोर्ट के बाद यह ख़बर आई है। इसमें आधार और पासपोर्ड का डाटा भी शामिल था। हालाँकि, डाटा के चोरी होने की ख़बरों को खारिज किया जाता रहा था, लेकिन केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने जाँच शुरू की थी। दिल्ली पुलिस ने अब तीन राज्यों से चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
दिल्ली पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में डेटा लीक का स्वत: संज्ञान लिया और एफआईआर दर्ज की। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'पिछले हफ्ते, चार लोगों- ओडिशा से बी.टेक डिग्री धारी, हरियाणा से स्कूल छोड़ने वाले दो लोग और झाँसी से एक को गिरफ्तार किया गया और दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया।'
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि 'गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों ने शुरुआती पूछताछ के दौरान जांचकर्ताओं को बताया कि वे लगभग तीन साल पहले एक गेमिंग प्लेटफॉर्म पर मिले थे और दोस्त बन गए। फिर उन्होंने जल्दी पैसा कमाने का फैसला किया।' अंग्रेजी अख़बार ने कहा है कि पूछताछ के दौरान संदिग्धों ने दावा किया कि उन्होंने अमेरिका की संघीय जांच ब्यूरो यानी एफ़बीआई और पाकिस्तान के कम्प्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र यानी सीएनआईसी का डेटा भी चुरा लिया है।
डाटा लीक होने की ख़बर पहली बार अक्टूबर में सामने आई थी। तब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर से 81 करोड़ भारतीयों के डेटा लीक की ख़बर आई थी। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस बात से इनकार किया था कि डेटा चोरी हुआ है। उन्होंने कहा था कि जितना मुझे जानकारी है, आईसीएमआर का डेटा ब्रीच हुआ है न कि चोरी हुआ है।
इस डाटा ब्रीच का पता अक्टूबर में तब चला जब खुफिया अधिकारियों को डार्क वेब पर आधार और पासपोर्ट रिकॉर्ड सहित डेटा मिला। एक अज्ञात व्यक्ति ने डार्क वेब पर 815 मिलियन भारतीय नागरिकों के रिकॉर्ड वाले डेटाबेस को बिक्री के लिए डाला।
इसमें आधार और पासपोर्ट की जानकारी के साथ-साथ नाम, फोन नंबर और पते भी शामिल थे। उसने पहले दावा किया था कि डेटा नागरिकों के कोविड जाँच डिटेल से निकाला गया था, लेकिन बाद में कहा कि उसने इसे किसी अन्य प्लेटफ़ॉर्म से 50,000 डॉलर में खरीदा था।
एक अधिकारी के अनुसार भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) ने पहले डेटा की प्रामाणिकता के बारे में संबंधित विभागों के साथ सत्यापन किया। पाया गया कि नमूने के रूप में लगभग 1 लाख लोगों का डेटा लिया गया था, जिसमें से उन्होंने सत्यापन के लिए 50 लोगों का डेटा उठाया और सभी का मिलान सही हुआ।
इस मामले में विपक्षी नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है। टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने सोमवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर आधार डेटा की सुरक्षा के संबंध में संसद में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया। उनका यह आरोप चार व्यक्तियों की गिरफ्तारी के मद्देनजर आया है जो कथित तौर पर डार्क वेब पर भारतीय नागरिकों के आधार और पासपोर्ट विवरण लीक करने में शामिल थे।
एक्स पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में गोखले ने लिखा, 'संसद में मोदी सरकार ने मेरे सवाल का जवाब दिया और आधार के किसी भी उल्लंघन से इनकार किया। और अब आईसीएमआर डेटाबेस से डार्क वेब पर भारतीयों के आधार और पासपोर्ट विवरण लीक करने के आरोप में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। राजीव चन्द्रशेखर, आपका मंत्रालय संसद में झूठ क्यों बोल रहा है? आप क्या छिपा रहे हैं?'
In Parliament, Modi Govt replied to my question & denied any breach of Aadhaar.
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) December 18, 2023
And now 4 people have been arrested for leaking Aadhaar & passport details of Indians on the dark web from ICMR database.
Why is your Ministry lying in Parliament, @Rajeev_GoI? What are you hiding? pic.twitter.com/WDiMPRbpg7
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, इसे संभवतः देश में डेटा लीक का 'सबसे बड़ा' मामला बताया गया था, जिसमें 81.5 करोड़ से अधिक भारतीयों के व्यक्तिगत विवरण, कथित तौर पर आईसीएमआर से प्राप्त किए गए थे, ऑनलाइन लीक हो गए थे। रिपोर्ट में कहा गया कि लीक को सबसे पहले अमेरिकी साइबर सुरक्षा और खुफिया एजेंसी रिसिक्योरिटी ने देखा था।
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