भारतीय वायुसेना की एक महिला फ्लाइंग ऑफिसर ने विंग कमांडर पर बलात्कार का आरोप लगाया है। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत के आधार पर जम्मू-कश्मीर के बडगाम पुलिस स्टेशन में एफ़आईआर दर्ज की गई है। पीड़ित अधिकारी और आरोपी अफ़सर दोनों ही श्रीनगर के एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात हैं।
महिला फ्लाइंग ऑफिसर ने अपनी शिकायत में कहा है कि पिछले दो वर्षों से उन्हें हैरसमेंट, यौन उत्पीड़न और मानसिक यातना का सामना करना पड़ रहा है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 8 सितंबर को बडगाम पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 376 (2) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी, जो 1 जनवरी, 2024 को कथित घटना के समय लागू थी। यह धारा केंद्र या राज्य सरकार द्वारा किसी क्षेत्र में तैनात सशस्त्र बलों के सदस्य द्वारा किए गए बलात्कार से संबंधित है।
महिला अधिकारी ने आरोप लगाया है कि श्रीनगर के एयरफोर्स स्टेशन के अधिकारियों द्वारा पिछले दो वर्षों में उन्हें लगातार यौन उत्पीड़न और मानसिक यातना दी गई है। अपनी शिकायत में महिला अधिकारी ने आरोप लगाया है कि 31 दिसंबर, 2023 को श्रीनगर के एयर फोर्स स्टेशन के ऑफिसर्स मेस में आयोजित नए साल की पार्टी के बाद उसे यौन संबंध के लिए मजबूर किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया है कि 1 जनवरी को सुबह करीब 2 बजे एक कमरे में यौन उत्पीड़न हुआ, जब विंग कमांडर ने उन्हें नए साल का उपहार लेने के लिए एक कमरे में आने के लिए कहा। उन्होंने शिकायत में कहा है, 'मैंने उससे बार-बार ऐसा करने से मना किया और हर संभव तरीके से इसका विरोध करने की कोशिश की। अंत में मैंने उसे धक्का दिया और भाग गई। उसने कहा कि हम शुक्रवार को फिर मिलेंगे जब उसका परिवार चला जाएगा।'
महिला अधिकारी ने कहा कि उसने दो अन्य महिला अधिकारियों से संपर्क किया और उन्होंने उसे शिकायत दर्ज करने के लिए कहा।
उन्होंने कहा, 'मैं मानसिक पीड़ा बता नहीं सकती, एक अविवाहित लड़की होने के नाते जिसने सेना में शामिल होकर इस तरह के जघन्य व्यवहार का सामना किया।'
महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत में कहा, 'सेना के माहौल में नई होने के कारण मैं मानसिक सदमे में चली गई। मैं शर्मिंदा थी और... इस हद तक टूट गई थी... रिपोर्ट करने की हिम्मत नहीं थी। मैं मानसिक पीड़ा को बयां नहीं कर सकती, एक अविवाहित लड़की होने के नाते... इस तरह के जघन्य व्यवहार के कारण... इस घटना और बुरे सपनों ने मुझे दुविधा में डाल दिया कि क्या चर्चा करूं या चुप रहूं, आखिरकार मैंने फैसला किया और लड़ने का फैसला किया।' अधिकारी ने स्टेशन के वरिष्ठ आईएएफ़ अधिकारियों पर उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि स्टेशन को आंतरिक समिति बनाने में दो महीने लग गए और जब समिति बनी तो यौन अपराधी की सहायता करने के लिए स्टेशन अधिकारियों का पक्षपात मेरे लिए बहुत दुखद था। उन्होंने आरोप में कहा है, 'मेरे कई बार आग्रह करने पर भी मेडिकल जांच नहीं की गई। आंतरिक समिति द्वारा जांच के अंतिम दिन यह किया गया।'
शिकायतकर्ता के अनुसार, समिति ने बाद में कहा कि 'चश्मदीद गवाह की कमी' के कारण यह 'अनिश्चित है कि घटना हुई थी या नहीं'। उन्होंने कहा कि जांच 15 मई को ख़त्म हो गई और 'आज तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और मुझे कोई सूचना नहीं दी गई है'।
महिला अधिकारी ने आरोप लगाया कि जब उन्हें पता चला कि भारतीय वायुसेना के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, तो उन्हें मजबूरन जम्मू-कश्मीर पुलिस में एफआईआर दर्ज करानी पड़ी।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नई दिल्ली में भारतीय वायुसेना के जनसंपर्क अधिकारी ने एफआईआर और महिला अधिकारी के आरोपों पर टिप्पणी मांगने वाले ईमेल का जवाब नहीं दिया।
महिला अधिकारी के वकील कर्नल अमित कुमार (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह समझना होगा कि ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए कितनी हिम्मत की जरूरत होती है। उन्होंने कहा, 'वह एक जूनियर अधिकारी है और उससे मौजूदा कानूनों और कार्रवाइयों को जानने की उम्मीद नहीं की जाती है। ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों से निपटने में कमांडिंग ऑफिसर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।'
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