‘टुकड़े-टुकड़े गैंग कैसे और कब बना?
ये सवाल अहम इसलिए हैं कि पूर्व पत्रकार और कार्यकर्ता साकेत गोखले ने एक आरटीआई आवेदन दायर कर गृह मंत्रालय से पूछा था कि ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग कैसे और कब बना? इसके सदस्य कौन-कौन हैं?’सोमवार को गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, ‘गृह मंत्रालय के पास टुकड़े-टुकड़े गैंग से संबंधित कोई जानकारी नहीं है।’PEOPLE - IT'S OFFICIAL
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) January 20, 2020
The Home Ministry has responded to my RTI saying:
"Ministry of Home Affairs has no information concerning tukde-tukde gang."
Maanyavar is a liar.
The "tukde tukde gang" does not officially exist & is merely a figment of Amit Shah's imagination. pic.twitter.com/yaUGjrqI4f
जेएनयू में हमला
लेकिन उनके इस बयान के कुछ दिन बाद ही जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के हॉस्टलों में नकाबपोश गुंडों के समूह ने छात्रों- शिक्षकों पर हमला कर दिया, तोड़फोड़ की। इस वारदात में 34 छात्र और शिक्षक घायल हुए, जिन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर पर दाखिल कराया गया था।बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर कहा था कि ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोगों को सबक सिखाने का समय आ गया है।’ हमले के बाद कुछ लोगों ने ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ के लोगों की पिटाई पर खुशी जताई थी।
गृह मंत्रालय से सवाल
ऐसे में यह सवाल पूछा जाना स्वाभाविक है कि ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ क्या है, कौन लोग इस गैंग में हैं?साकेत गोखले ने अपने आरटीआई में चार सवाल पूछे थे।- एक, गृह मंत्री द्वारा चिन्हित ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग की परिभाषा क्या है और किस आधार पर उनकी पहचान हो सकती है?
- दूसरा, क्या गृह मंत्री ने टुकड़े-टुकड़े गैंग को किसी आधिकारिक मंत्रालय या क़ानूनी एजेंसी द्वारा चिन्हित किए जाने के आधार पर उल्लेख किया है?
- तीसरा, क्या केंद्रीय मंत्री के पास इस गैंग के नेताओं और सदस्यों की कोई सूची है जिनका उन्होंने जिक्र किया है?
- चौथा, केंद्रीय गृह मंत्री की घोषणा के मुताबिक ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय कौन-सी दंडात्मक कार्रवाई/सजा की योजना बना रहा है? (यह भी स्पष्ट किया जाए कि आईपीसी या अन्य कानूनों की कौन-सी धाराओं के तहत सजाएं दी जाएंगी।)
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‘मेरी आरटीआई आवेदन देने के पीछे का कारण ये है कि देश के गृहमंत्री ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ शब्दावली का इस्तेमाल कई बार कर चुके हैं। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री ने भी इसका कई मौकों पर इस्तेमाल किया है। जब वे ऐसी प्रवृत्ति के ऐसे गैंग का उल्लेख करते हैं तो ये सोचना ज़रूरी है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) के तहत ऐसी लिस्ट बना कर रखी होगी।’
साकेत गोखले की आरटीआई अर्जी का हिस्सा
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