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कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक देश के अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ है। इस पर अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक .001% भी देश के अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नहीं है। उन्होंने कहा कि वह सदन में विधेयक से जुड़े हर सवाल का जवाब देंगे। गृह मंत्री ने अधीर रंजन चौधरी से कहा कि उनके जवाब देते वक्त वह हाउस से वॉकआउट न करें।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक असम समझौते का उल्लंघन करता है। एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सेक्युलरिज्म देश के मूलभूत ढांचे का हिस्सा है और यह विधेयक संविधान के ख़िलाफ़ है। कांग्रेस के विधेयक का पुरजोर विरोध करने पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर कांग्रेस धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।
पिछले हफ़्ते ही केंद्रीय कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी थी। विधेयक में अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, पारसी, सिख, जैन और ईसाई प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना की है और इसे संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ बताया है।
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ़्रंट ने विधेयक के विरोध में जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन किया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी इस बिल का पुरजोर विरोध करेगी।
Delhi: All India United Democratic Front (AIUDF) stages protest at Jantar Mantar against the #CitizenshipAmendmentBill2019. pic.twitter.com/7n32z1nsAN
— ANI (@ANI) December 9, 2019
बीजेपी के नेतृत्व वाली पिछली एनडीए सरकार ने बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान से आने वाले ग़ैर मुसलिमों, ख़ासकर हिंदू आप्रवासियों को भारत की नागरिकता देने की बात की थी। दूसरी बार सरकार बनते ही बीजेपी ने तीन तलाक़, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद इसे अपने एजेंडे में प्राथमिकता से रखा है।
एनडीए में शामिल शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने इस विधेयक की तारीफ़ की है लेकिन पार्टी ने कहा है कि इसमें धर्म को आधार न बनाते हुए उत्पीड़ित सभी लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। अकाली दल के अध्यक्ष प्रकाश सिंह बादल ने कहा है कि उनकी पार्टी बीते 30 सालों से अफ़गानिस्तान से आए 75000 सिख शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की माँग कर रही है।
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