पूर्णिमा दास
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हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा पेशकश को स्वीकार करने का आग्रह किया है। पिछले सप्ताह ओवैसी जब यूपी में चुनाव प्रचार कर लौट रहे थे तो उनकी कार पर गोलियाँ चलाई गई थीं। इसके बाद केंद्र ने उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा दी थी, लेकिन ओवैसी ने सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया था और इसके बदले दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा था।
ओवैसी पर गुरुवार शाम को उस वक्त हमला हुआ था जब वह मेरठ से दिल्ली के लिए लौट रहे थे। तब हापुड़ में उनकी कार पर फ़ायरिंग हुई थी। इस हमले में वह बाल-बाल बचे थे। यह मामला संसद में उठा था। इसी को लेकर देश के गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में बयान दिया है।
अमित शाह ने संसद में कहा, 'ओवैसी की सुरक्षा को ख़तरा है... सरकार ने बुलेट-प्रूफ कार के साथ 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करने का फ़ैसला किया, लेकिन ओवैसी ने इनकार कर दिया है। मैं सदन के सदस्यों के माध्यम से अनुरोध करता हूँ कि वह इस सुरक्षा कवर को स्वीकार कर लें।'
उन्होंने कहा, 'दो अज्ञात लोगों ने काफिले पर गोलियां चलाईं। वह सुरक्षित आए, लेकिन उनके वाहन के निचले हिस्सों पर तीन गोलियों के निशान थे। इस घटना को तीन गवाहों ने देखा और एक प्राथमिकी दर्ज की गई।'
गृह मंत्री ने कहा कि यूपी में कानून व्यवस्था नियंत्रण में है। अमित शाह ओवैसी पर लापरवाही बरतने का दोष मढ़ते हुए दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस को हापुड़ ज़िले में उनके मूवमेंट के बारे में सूचित नहीं किया गया था।
बता दें कि एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 3 फ़रवरी को हमले के अगले ही दिन यानी 4 फ़रवरी को संसद में अपनी सुरक्षा के मुद्दे को उठाया था। उन्होंने दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की थी। हमले के बाद उन्हें दी गई जेड श्रेणी की सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने शुक्रवार को लोकसभा में कहा था कि वह जेड-श्रेणी की सुरक्षा नहीं चाहते हैं। इसके बदले में उन्होंने पूछा था कि हमलावरों पर यूएपीए के तहत मुक़दमा क्यों दर्ज नहीं किया जा रहा है?
ओवैसी ने कड़े आतंकवाद विरोधी क़ानून का ज़िक्र करते हुए कहा था,
“
मुझे जेड श्रेणी की सुरक्षा नहीं चाहिए। मैं आप सभी के समान ए श्रेणी का नागरिक बनना चाहता हूँ। मुझ पर गोली चलाने वालों के ख़िलाफ़ यूएपीए क्यों नहीं लगाया गया?
असदुद्दीन ओवैसी
यूएपीए क़ानून का हाल के दिनों में भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों और केंद्र द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है।
ओवैसी ने कहा था, 'मेरा सवाल यह है कि वे लोग कौन हैं जो बुलेट में विश्वास करते हैं, बैलेट में नहीं? ये लोग कौन हैं जो इतने कट्टरपंथी हैं कि वे आंबेडकर के संविधान में विश्वास नहीं करते हैं।'
उन्होंने यह भी कहा था कि युवाओं का कट्टरवाद देश के लिए ख़तरा है। उन्होंने कहा था, 'जो लोगों को कट्टरपंथी बना रहे हैं, उन पर यूएपीए के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज किया जा रहा है? अगर कोई भड़काऊ भाषण देता है, तो उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज नहीं किया जाता है, लेकिन क्रिकेट मैच पर प्रतिक्रिया देने वाले को इस कड़े क़ानून का सामना करना पड़ता है।'
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