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कोयले की कमी से बिजली कटौती की चिंता नहीं तो अमित शाह ने क्यों ली बैठक?

पूरे भारत में बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी से बिजली कटौती की आशंकाएँ क्या निराधार हैं? सरकार ने भले ही उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया है, लेकिन हाल के घटनाक्रम दिखाते हैं कि सरकार की ही चिंताएँ बढ़ी हैं। ऐसा इसलिए कि अब तो ख़ुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले से जुड़े कई मंत्रियों के साथ बैठक की है।

गृह मंत्री ने सोमवार को जिनके साथ बैठक की उनमें बिजली मंत्री आर के सिंह, कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और अन्य कैबिनेट नेताओं के साथ कोयला और बिजली मंत्रालयों के प्रभारी भी शामिल थे। यह बैठक तब हुई है जब रिपोर्ट आ रही है कि कोयले से बिजली पैदा करने वाले कई प्लांट बंद हो गए हैं और कई में कोयले का स्टॉक ख़त्म होने को है।

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मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बैठक में वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ-साथ ऊर्जा पैदा करने वाली सरकारी कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड के अधिकारी भी शामिल हुए।

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक़, देश थर्मल प्लांटों यानी ताप संयंत्रों में कोयले के भंडार की अभूतपूर्व कमी का सामना कर रहा है। इससे बिजली संकट पैदा हो सकता है। 5 अक्टूबर को बिजली उत्पादन के लिए कोयले का उपयोग करने वाले 135 ताप संयंत्रों में से 106 यानी लगभग 80 प्रतिशत या तो क्रिटिकल या सुपरक्रिटिकल चरण में थे, यानी उनके पास अगले 6-7 दिनों के लिए ही स्टॉक था।

जब इस संकट की ओर ध्यान गया राज्यों ने चिंताएँ जतानी शुरू कीं तो शनिवार को एक बयान में बिजली मंत्रालय ने चार कारण बताए जो विभिन्न राज्यों में कोयले की आपूर्ति में कमी पैदा कर रहे थे- 

  1. अर्थव्यवस्था में सुधार के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि।
  2. सितंबर में भारी बारिश से खदानों से कोयले की निकासी पर प्रतिकूल प्रभाव।
  3. आयातित कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण बिजली उत्पादन में भारी कमी।
  4. मानसून की शुरुआत से पहले पर्याप्त कोयला स्टॉक का भंडारण न करना।

भले ही केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि भारत के पास अपने बिजली संयंत्रों की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला भंडार है, कई राज्यों ने ब्लैकआउट यानी बिजली कटौती की चेतावनी दी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ऐसा बयान दिया था। इस पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने रविवार को कहा था कि दिल्ली में बिजली की कोई कमी नहीं है और आश्वासन दिया कि आगे भी कोयले की आपूर्ति बनी रहेगी। 

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कोयला मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि कोयले से चलने वाले संयंत्रों में मौजूदा ईंधन स्टॉक लगभग 7.2 मिलियन टन है, जो चार दिनों के लिए पर्याप्त है। खनन कंपनी कोल इंडिया के पास भी 40 मिलियन टन से अधिक का स्टॉक है जिसकी आपूर्ति बिजली स्टेशनों को की जा रही है।

मंत्रालय ने कहा है कि बिजली आपूर्ति में व्यवधान का कोई भी डर पूरी तरह से ग़लत है।

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हालाँकि, सरकार के इन आश्वासनों के बावजूद जिस तरह की आशंकाएँ हैं और जिस तरह की हलचल है, मंत्रालयों के बीच बैठक चल रही है, उससे लगता है कि बिजली संकट की चिंताएँ बनी रहेंगी। यदि यह संकट आता है तो यह कितना बड़ा होगा, इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि देश में उत्पन्न होने वाली पूरी बिजली की क़रीब 70 फ़ीसदी बिजली कोयले वाले थर्मल पावर प्लांट से पैदा होती है। 
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अमित कुमार सिंह
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