प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा के गुजरात और पश्चिम बंगाल पर एक ट्वीट ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से लेकर देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक में हलचल मचा दी है। विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण- दोनों ने अगल-अलग रूप में रामचंद्र गुहा पर निशाना साधा। इसी बहाने रामचंद्र गुहा ने भी दोनों नेताओं पर तंज कसे। देश की अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत की ओर इशारा कर उन्होंने कहा कि सच में अर्थव्यवस्था सुरक्षित हाथों में है!
दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत रामचंद्र गुहा के एक ट्वीट से हुई। उन्होंने फिलिप स्प्रैट की 1939 में लिखी कुछ पंक्तियों का ज़िक्र कर ट्वीट किया, 'हालाँकि गुजरात आर्थिक रूप से मज़बूत है लेकिन सांस्कृतिक रूप से पिछड़ा हुआ प्रोविंस (प्रांत) है, वहीं इसके विपरीत बंगाल आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है, लेकिन सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है। - 1939 में फिलिप स्प्रैट का लिखा।'
इतिहास की इन कुछ पंक्तियों का ज़िक्र करने पर गुजरात के मुख्यमंत्री ने उन पर तीखा हमला किया। उन्होंने इशारों-इशारों में उन्हें 'बाँटो और राज करो' का एक समूह बता दिया। उन्होंने ट्वीट किया, 'पहले अंग्रेज़ थे जिन्होंने बाँटने की कोशिश की और राज किया। अब कुछ बुद्धिजीवियों का एक समूह है जो भारतीयों को बाँटना चाहता है। भारतीय इनकी चाल में नहीं फँसेंगे। गुजरात महान है, बंगाल महान है.... भारत एकजुट है।'
Earlier it was the British who tried to divide and rule. Now it is a group of elites who want to divide Indians.
— Vijay Rupani (@vijayrupanibjp) June 11, 2020
Indians won’t fall for such tricks.
Gujarat is great, Bengal is great...India is united.
Our cultural foundations are strong, our economic aspirations are high. https://t.co/9mCuqCt7d1
इस पर रामचंद्र गुहा ने पलटवार किया। उन्होंने ट्वीट कर जवाब दिया, ' यदि गुजरात के मुख्यमंत्री, इस समय इतिहास में हैं, (क) एक नीरस इतिहासकार के ट्वीट्स का इतनी उत्सुकता से अनुसरण कर रहे हैं, और (ख) एक मृत लेखक का उद्धरण दिए जाने से एक इतिहासकार को आसानी से भ्रमित कर रहे हैं तो, गुजरात राज्य को वास्तव में सुरक्षित हाथों में होना चाहिए।'
If the Gujarat Chief Minister is, at this moment in history, (a) so keenly following the tweets of a humdrum historian and (b) so easily confusing the historian with a dead writer being quoted, the State of Gujarat must indeed be in safe hands.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) June 11, 2020
रामचंद्र गुहा और गुजरात के मुख्यमंत्री के बीच विवाद चल ही रहा था कि इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कूद गईं। निर्मला सीतारमण ने गुजरात के जामनगर महाराजा के अच्छे काम के लिए सम्मान किए जाने की एक ख़बर को शेयर करते हुए लिखा, '1939 में जब कम्युनिस्ट इंटरनेशनल से जुड़े ब्रिटेन के फिलिप स्प्रैट ने लिखा, (जिसका @Ram_Guha उद्धरण देते हैं), गुजरात में यह हो रहा था: जामनगर... महाराजा जाम साहेब दिग्विजयसिंहजी जडेजा ने...पोलैंड के 1000 बच्चों को बचाया। संस्कृति।'
I thought it was only the Gujarat CM, but now it seems even the FM is obsessing about a humdrum historian's tweets. The economy is surely in safe hands. https://t.co/bBpcK85Hel
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) June 11, 2020
निर्मला सीतारमण की इस प्रतिक्रिया पर इतिहासकर रामचंद्र गुहा ने बिल्कुल वैसा ही तंस कसा जैसा कि उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के बारे में कसा था। उन्होंने ट्वीट किया, 'मुझे लगा था कि यह केवल गुजरात के सीएम हैं, लेकिन अब ऐसा लगता है कि एफएम (वित्त मंत्री) भी एक नीरस इतिहासकार के ट्वीट के बारे में जुनूनी हैं। अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से सुरक्षित हाथों में है।'
गुहा के ट्वीट पर फ़िल्म अभिनेता और बीजेपी से जुड़े रहे परेश रावल ने भी इतिहासकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने ट्वीट किया, 'इतिहास की पुस्तकों को विकृत करने के बाद, गुटलेस गुहा गुजराती/बंगाली का एक नया राग छेड़ता है! ऐसा लगता है जैसे उसे किसी की पूँछ पर मुफ्त सवारी मिल रही है...! यह चूहा गुहा हर किसी के चुटकुलों की पंचलाइन से भी नहीं उबता है!'
https://t.co/wDva5ABpZI After distorting History books Gutless Guha opens up a new avenue of Gujarati/Bengali !looks like he is getting a free ride on somebody’s Tail ...! This Chuha Guha is not tired of being punchline of everyone’s jokes !@Ram_Guha
— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) June 11, 2020
हालाँकि इन विवादों के बीच रामचंद्र गुहा ने एक और ट्वीट कर इस मामले में एक तरह से सफ़ाई दी। उन्होंने ट्वीट किया, 'वैधानिक चेतावनी; जब मैं रिसर्च के दौरान मिले किसी के कथन को पोस्ट करता हूँ तो मैं ऐसा इसलिए करता हूँ कि वे मुझे दिलचस्प लगते हैं। मैं जिनका ज़िक्र कर रहा हूँ, हो सकता है कि मैं उन विचारों से सहमत होऊं या नहीं भी। आप अपना ग़ुस्सा या प्यार सिर्फ़ उस व्यक्ति के लिए ही रखें, जिनके वो कथन हैं।'
Statutory warning; when I post quotes by others found in the course of my research, I do so because I find them arresting in some way. I may (or may not) endorse, in part or in whole, what I am quoting. Reserve your praise or your anger for the ghost of the person being quoted.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) June 11, 2020
इससे पहले भी इतिहासकार रामचंद्र गुहा और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच सरदार पटेल को लेकर ट्विटर पर तीखी बहस हो चुकी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक ट्वीट में लिखा था कि नेहरू 1947 में अपने मंत्रिमंडल में सरदार पटेल को नहीं शामिल करना चाहते थे और शुरुआती सूची में उनका नाम हटा दिया गया था।
इस पर रामचंद्र गुहा ने लिखा था कि यह एक मिथक है, जिसे प्रोफ़ेसर श्रीनाथ राघवन झूठा साबित कर चुके हैं। गुहा ने यह भी लिखा था, ‘फ़ेक न्यूज़ और आधुनिक भारत के दो निर्माताओं के बीच दुश्मनी की ग़लत बातें फैलाना विदेश मंत्री का काम नहीं है, ये चीजें बीजेपी आईटी सेल के लिए छोड़ देना चाहिए।’ बता दें कि रामचंद्र गुहा देश के जाने माने इतिहासकार हैं। वह अक्सर दक्षिणपंथियों और कट्टरपंथियों के निशाने पर रहते हैं।
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