loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला

जीत

गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर

हार

हिजाब : 'निजता के अधिकार से पसंद का अधिकार भी जुड़ा है'

हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 12 सितंबर को भी सुनवाई जारी रही। खास बात यह रही कि सोमवार को वकीलों ने अपनी बात ज्यादा कही, जज हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया ने टिप्पणियां कम कीं। इससे पहले की सुनवाई में जजों की टिप्पणियां बहुतायत में आई थीं। जिनकी जनता में भी काफी चर्चा रही।

इस मामले को लगातार कवर कर रहे लाइव लॉ पोर्टल के मुताबिक याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता यूसुफ मुछाला ने आपत्ति जताई कि इस मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को वर्दी पहनने पर ऐतराज नहीं है लेकिन धार्मिक रूप से जिसे पहनने को कहा गया है, उसे भी पहनने की इजाजत होना चाहिए। निजता के अधिकार से पसंद का अधिकार जुड़ा हुआ है। क्या महिलाओं का सिर पर कपड़ा रखना जुर्म है। महिला इसमें अपनी गरिमा देख रही है। हम अपनी राय जबरन उन पर नहीं थोप सकते।

ताजा ख़बरें
उन्होंने कहा कि हिजाब पर बैन लगाने से मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा का अधिकार प्रभावित होता है क्योंकि उनके सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकार वैसे भी स्वीकार नहीं किए जाते हैं। उन्होंने इस संबंध में सरकारी रिकॉर्ड से कुछ दस्तावेज पेश किए। उन्होंने पढ़ाः

हिजाब पहनने वाली महिलाओं को कैरिकेचर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्हें गरिमा के साथ देखा जाना चाहिए। वे मजबूत इरादों वाली महिलाएं हैं और उन्हें लगता है कि उन्हें इसकी वजह से शक्ति मिली है। कोई भी उन पर अपना निर्णय नहीं थोप सकता है।


- यूसुफ मुछाला, वरिष्ठ वकील, सुप्रीम कोर्ट

वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 51 ए (एच) (वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ावा देने) के तहत मौलिक कर्तव्य पर जोर देते हुए हाईकोर्ट के फैसले ने अनुच्छेद 51 ए (एफ) की अनदेखी की, जो "समग्र संस्कृति" को संरक्षित करने की बात करता है। उन्होंने "योग्य सार्वजनिक स्थान" (अदालत ने कहा था कि कुछ योग्य सार्वजनिक स्थानों पर आपको वर्दी पहनना पड़ती है) के मुद्दे पर अदालत को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा -

योग्य सार्वजनिक स्थान कुछ स्थानों पर अच्छा हो सकता है। अगर मैं सेना में हूं, तो मुझे तय वर्दी पहननी होगी। अगर मैं बार काउंसिल का सदस्य हूं, तो मुझे तय वर्दी पहननी होगी। मैं तय वर्दी पहनूंगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या मैं कुछ और पहन सकता हूं जो मेरी संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है।


- सलमान खुर्शीद, वरिष्ठ वकील, सुप्रीम कोर्ट

इस मामले की सुनवाई बुधवार को सुबह 11.30 बजे जारी रहेगी।

बता दें कि कर्नाटक सरकार ने राज्य में शिक्षण संस्थाओं में हिजाब पर बैन लगा दिया था। हालांकि कर्नाटक में कई दशक से मुस्लिम लड़कियां स्कूल, कॉलेजों में हिजाब पहनकर आ रही थीं। बैन लगाने के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों ने इसे कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के बैन को सही ठहरा दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि हिजाब धार्मिक पोशाक नहीं और न ही इस्लाम में यह अनिवार्य है। हालांकि कुरान में महिलाओं की प्राइवेसी को लेकर तमाम आयतें हैं लेकिन हाईकोर्ट ने उस ध्यान नहीं दिया। हाईकोर्ट के आदेश को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। पिछली तारीखों पर सुनवाई के दौरान खासतौर से हिजाब को लेकर जस्टिस हेमंत गुप्ता की टिप्पणियां उल्लेखनीय रही हैं। जिन पर देश में बहस भी हो रही है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें