चंडीगढ़ के मुद्दे पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान पर तीखा हमला बोला। खट्टर ने तो अब एसवाईएल का भी मुद्दा उठा दिया है।
पंजाब विधानसभा में कल आम आदमी पार्टी की सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर चंडीगढ़ पर पंजाबा का दावा जताया और कहा कि चंडीगढ़ पूरी तरह से पंजाब की राजधानी घोषित की जाए। पंजाब सरकार का यह जवाब इस घटनाक्रम के बाद आया जब केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों पर सेंट्रल सर्विस रूल लागू कर दिया। जबकि अभी तक केंद्र शासित चंडीगढ़ के कर्मचारी-अधिकारी पंजाब सर्विस रूल के तहत काम करते थे।
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने आज एसवाईएल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अगर वे ऐसा कुछ करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले एसवाईएल मुद्दे को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। पंजाब के हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को नहीं दिए गए, जिससे बाकी मुद्दों में देरी हुई। उन्हें कहना चाहिए कि वे (पंजाब) हरियाणा को हिंदी भाषी क्षेत्र देने के लिए तैयार हैं।
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उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। राजीव-लोंगोवाल समझौता 35-36 साल पहले हुआ था, जिसके अनुसार यह हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी है। मैंने उस दिन भी कहा था कि इससे जुड़े कई मुद्दे हैं। एसवाईएल भी ऐसा ही मुद्दा है। हरियाणा का एसवाईएल में हिस्सा है। वो नहर कब बनेगी।
- मनोहर लाल खट्टर, पंजाब के प्रस्ताव पर शनिवार को बोले
इस बीच, बीजेपी के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने शनिवार को कहा कि पंजाब सरकार ठीक से काम नहीं कर रही है।
पंचकूला में बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी मौजूद थे। बैठक के बारे में खट्टर ने बताया कि बैठक में पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा में पारित किए गए निंदनीय प्रस्ताव पर चंडीगढ़ के संबंध में एकतरफा अधिकार जताते हुए चर्चा की गई।
बता दें कि शुक्रवार को पंजाब विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब स्थानांतरित करने की मांग की। राज्य विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान, पंजाब के सीएम भगवंत मान ने यह प्रस्ताव पेश किया, जिसका आप, कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और बीएसपी के सभी विधायकों ने समर्थन किया।
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