हरियाणा के फतेहाबाद में गो तस्करी के शक में चार लोगों को भीड़ ने बुरी तरह पीटा है। यह भी बताया जा रहा है कि इन लोगों को पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया। यह घटना फतेहाबाद के दायोड़ गाँव में हुई है। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस मौक़े पर पहुँची और भीड़ को तितर-बितर किया। घटना रविवार, 10 जून की है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए स्थानीय थाने के एसएचओ सूरजमल ने बताया कि जैसे ही उन्हें घटना के बारे में जानकारी मिली, वे मौक़े पर पहुँचे। उन्होंने कहा कि मौक़े पर चार लोगों से गाय और उसके बछड़े के माँस के अवेशष मिले हैं। यह भी बताया जा रहा है कि माँस को लेकर ग्रामीणों और इन लोगों में झगड़ा हुआ था। पुलिस ने इन चारों को अस्पताल में भर्ती कराया। माँस के टुकड़ों को जब्त कर पोस्टमॉर्टम जाँच के लिए भेजा गया है। चारों लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
भीड़ की पिटाई का शिकार हुए लोगों ने कहा कि वे मरे हुए जानवरों को दफनाने का काम करते हैं। इनमें से एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि गाँव वालों ने उन्हें लाठियों से पीटा। उसने यह भी कहा कि गाँव वालों ने उन्हें पेशाब पीने के लिए मजबूर करने की कोशिश की।
एक दूसरे शख़्स ने बताया कि भीड़ में लगभग 30 लोग शामिल थे। उसने कहा कि हम लोगों ने गाय को नहीं मारा था बल्कि हमारा काम मरी हुई गायों को दफ़नाने का है। पुलिस इस मामले में आगे की जाँच कर रही है। बताया जा रहा है कि चारों व्यक्तियों के समर्थन में दलित अधिकार मंच ने पुलिस प्रशासन से मारपीट करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की माँग की है।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश में गो रक्षा के नाम पर महिला समेत तीन लोगों की बेरहमी से पिटाई करने का एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में कथित गो रक्षक एक महिला समेत तीन लोगों को बंधक बनाकर बेरहमी से पीटते नज़र आ रहे थे।
पिछले साल बुलंदशहर के स्याना में गोकशी की अफ़वाह को लेकर भी काफ़ी बवाल हुआ था। इसमें इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक स्थानीय युवक की मौत हो गई थी। पुलिस की जाँच में सामने आया था कि भीड़ ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह पर पत्थरों, रॉड और कुल्हाड़ी से हमला किया था। इस मामले को लेकर काफ़ी बवाल हुआ था।
जून, 2016 में मरी हुई गाय की कथित रूप से खाल उतारने के मामले में दलितों को कार से बाँधकर जमकर पीटा गया था। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद देशभर में तीख़ी प्रतिक्रिया सामने आई थी। इसके बाद गुजरात में दलितों ने बड़े पैमाने पर आंदोलन किया था।
अख़लाक़, पहलू, रकबर की हुई थी हत्या
सितंबर 2015 में ग्रेटर नोएडा के दादरी में स्थानीय नागरिक अख़लाक़ को भीड़ ने उसके घर के गो माँस रखे होने और पकाये जाने के शक में पीट-पीट कर मार डाला था। हैरानी तब हुई थी जब इस बार लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान अख़लाक़ की हत्या के आरोपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंच पर दिखाई दिए थे।
अप्रैल, 2017 में कथित गो रक्षकों ने राजस्थान के अलवर में 55 वर्षीय बुजुर्ग पहलू ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस घटना में घायल हुए पहलू ख़ान के बेटे इरशाद ने बताया था कि उनका डेरी का कारोबार है और वह जयपुर से गाय और भैंस खरीदकर ले जा रहे थे लेकिन कथित गोरक्षकों ने उन्हें गो तस्कर समझ लिया और उन पर हमला कर दिया।
अलवर में ही गो तस्करी के शक में कथित गोरक्षकों ने रकबर ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि दूध का कारोबार करने वाले कई और मुसलिमों की कथित गो रक्षकों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।गोमांस की तस्करी के शक में लोगों को पीटे जाने की कई घटनाएँ पिछले पाँच सालों में सामने आई है। यह भी ख़बरें आई थीं कि कथित गो रक्षकों के आतंक के कारण कई लोगों ने दूध का कारोबार करना ही बंद कर दिया था। यह सवाल राज्य और केंद्र की सरकारों से भी पूछा जाना चाहिए कि आख़िर गो तस्करी के शक में किसी को कारण पीट दिया जाना आख़िर कहाँ का न्याय है। इन मामलों पर क्या कभी कड़ी कार्रवाई होगी या यह सिलसिला जारी रहेगा।
अपनी राय बतायें