हरिद्वार में हुई धर्म संसद में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रती और भड़काऊ बयानबाज़ी के ख़िलाफ़ कई लोग सामने आए हैं। इन्होंने पंजाब में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं का भी विरोध किया है।
पूर्व नेवी चीफ़ रिटायर्ड अरुण प्रकाश ने सवाल पूछा है कि क्या हम सांप्रदायिक खूनी खेल खेलना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि इसे रोका क्यों नहीं जा रहा है। अरुण प्रकाश 1971 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ हुई जंग के हीरो रहे हैं। उनके इस बयान के समर्थन में पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक भी आगे आए हैं।
मलिक ने कहा कि इस तरह के भाषण सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर डालते हैं। मलिक ने कहा कि इस मामले में कार्रवाई की जानी चाहिए। मलिक 1999 में कारगिल युद्ध के वक़्त सेना के प्रमुख थे।
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने धर्म संसद में हुई बयानबाज़ी को बेहूदा बताया और कहा कि यह देश की सुरक्षा से खिलवाड़ है।
मेजर जनरल रिटायर्ड यश मोर ने पंजाब में हुई लिंचिंग की घटनाओं की निंदा की है और कहा है कि हम दूसरा पाकिस्तान बनने जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर इस मामले में जबरदस्त विवाद होने के बाद एफ़आईआर दर्ज की गई है। एफ़आईआर आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले की शिकायत पर दर्ज की गई है। एफ़आईआर में हिंदू धर्म अपना चुके वसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी का नाम शामिल है।
धर्म संसद हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर तक हुई। इसमें साधु-संतों के साथ ही हिंदू संगठनों से जुड़े लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में बीजेपी के नेता अश्विनी उपाध्याय और उदिता त्यागी भी मौजूद रहे। उपाध्याय की सफाई आई है कि वे इस कार्यक्रम में सिर्फ़ 30 मिनट के लिए ही मौजूद रहे थे।
धर्म संसद में हिंदू रक्षा सेना के अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानंद गिरी, महामडंलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडे, मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयानबाज़ी करने वाले यति नरसिंहानंद सरस्वती सहित कई लोगों ने ज़हरीली भाषणबाज़ी की।
बीते कुछ महीनों में यह एक और घटना है, जिसमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत को बढ़ावा दिया गया। इससे पहले त्रिपुरा में मसजिदों में आगजनी की घटना हुई, संसद से कुछ दूरी पर स्थित जंतर-मंतर पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ ख़ूनी नारे लगाए गए।
गुड़गांव में खुले में जुमे की नमाज़ का और दिल्ली के द्वारका में हज हाउस का विरोध भी हिंदू संगठनों के लोग कर चुके हैं।
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