हरिद्वार में आयोजित हुई धर्म संसद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा है कि वह 10 दिन में अपना जवाब दे। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पटना हाई कोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने जहरीले भाषणों के मामले में स्वतंत्र जांच कराने की मांग की थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कुछ और धर्म संसदों का आयोजन किए जाने का एलान किया गया है। उन्होंने कहा कि अगली धर्म संसद से पहले कदम उठाए जाने की जरूरत है।
इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 23 जनवरी को होने वाली धर्म संसद को लेकर स्थानीय अधिकारियों से बात करने की अनुमति दे दी। कपिल सिब्बल ने सीजेआई से मांग की थी कि वे धर्म संसद में की गई भड़काऊ बयानबाजी के खिलाफ कार्रवाई करें।
अहमियत न दें: गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि इस तरह की बातों को नजरअंदाज करना चाहिए और इन्हें महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। गडकरी ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा, हमें सभी धर्मों के प्रति सम्मान रखना चाहिए और किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए।हरिद्वार की धर्म संसद में हिंदू रक्षा सेना के प्रबोधानंद गिरी, यति नरसिंहानंद सरस्वती, पूजा शकुनि पांडे उर्फ साध्वी अन्नपूर्णा, वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफरती भाषण दिए और नरसंहार की बातें कहीं।
प्रबोधानंद गिरि की फोटो कई बीजेपी नेताओं के साथ सोशल मीडिया पर आ चुकी हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शामिल हैं।
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