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कृषि क़ानून: एक और सहयोगी छोड़ सकता है एनडीए, बेनीवाल की धमकी

कृषि क़ानूनों को लेकर देश की राजधानी के बॉर्डर पर बैठे किसानों की हुंकार के कारण मुश्किल में फंसी मोदी सरकार को एक और झटका लग सकता है। एनडीए में सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने कृषि क़ानूनों को लेकर नाराज़गी जताई है। 

बेनीवाल ने सोमवार को किए ट्वीट में कहा है कि किसानों की भावना को देखते हुए तीनों कृषि क़ानूनों को तत्काल वापस लिया जाए व स्वामीनाथन आयोग की सम्पूर्ण सिफारिशों को लागू किया जाए। उन्होंने यह मांग केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से की है। 

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राजधानी के सिंघू व टिकरी बॉर्डर पर डेरा डालकर बैठे किसानों से दिल्ली में बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड जाने की अपील बार-बार सरकार की ओर से की जा रही है लेकिन किसानों ने कहा है कि बुराड़ी का मैदान ओपन जेल है और वे वहां नहीं जाएंगे। बेनीवाल ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा है कि किसानों को दिल्ली में त्वरित वार्ता के लिए उनकी मंशा के हिसाब से जगह दी जाए। 

शाह को लिखा पत्र 

राजस्थान के नागौर से लोकसभा के सांसद बेनीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कहा है कि तीनों क़ानूनों को वापस लेने व स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफ़ारिशों को लागू करने का काम तुरंत नहीं किया गया तो आरएलपी के एनडीए में बने रहने पर पुनर्विचार किया जाएगा। बेनीवाल ने कहा है कि जवान और किसान ही उनकी पार्टी की ताक़त हैं। बेनीवाल की पार्टी ने पिछले साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था। 

राजस्थान में आबादी के लिहाज से सबसे बड़े जाट समुदाय से आने वाले बेनीवाल शायद इस बात को जानते हैं कि किसानों के इस आंदोलन के दौरान अगर वे सरकार के साथ दिखे तो उन्हें सियासी नुक़सान हो सकता है।

अकाली दल ने दिया था झटका

कृषि क़ानूनों को लेकर बीजेपी कुछ महीने पहले ही करारा झटका खा चुकी है। तब उसकी पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने उसका साथ छोड़ दिया था। अकाली दल के कोटे से कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफ़ा दे दिया था। इसके बाद पंजाब और हरियाणा में इन क़ानूनों के विरोध में आंदोलनों ने तेज़ी पकड़ी और किसानों ने 26 नवंबर को दिल्ली कूच का एलान कर दिया। 

Hanuman Beniwal may quit NDA on farm laws 2020 - Satya Hindi

अब जब किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आ गए हैं तो एक और सहयोगी की ओर से चेतावनी मिलना बीजेपी के लिए मुश्किलों को बढ़ाने जैसा है। क्योंकि एनडीए से दल लगातार छिटकते जा रहे हैं। 

जब किसानों के वोट खोने के डर से अकाली दल जैसी पुरानी पार्टी एनडीए से बाहर निकल सकती है तो फिर बेनीवाल की पार्टी को तो ऐसा करने के लिए गंभीरता से सोचना ही होगा। बेनीवाल का राजस्थान के जाट बहुत इलाकों में अच्छा जनाधार माना जाता है, विशेषकर युवाओं में उनकी अच्छी पकड़ है। 

Hanuman Beniwal may quit NDA on farm laws 2020 - Satya Hindi

बॉर्डर पर अड़े किसान

दूसरी ओर, दिल्ली के टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों ने सोमवार शाम को फिर से कहा है कि केंद्र सरकार उनसे बिना किसी शर्त के बातचीत करे। संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेन्स में किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार सोचती है कि हम थक जाएंगे और हार मान लेंगे लेकिन हम हार नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा कि ये अच्छा होगा कि किसानों के दिल्ली को सील करने से पहले ही सरकार उनसे बातचीत करे। 
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भ्रम फैला रहे हैं लोग: मोदी

किसान आंदोलन के शोर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा है कि कुछ लोग किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। नए क़ानूनों के तहत मंडियों को ख़त्म करने को लेकर उठ रहे सवालों को लेकर मोदी ने कहा कि अगर मंडियों और एमएसपी को ख़त्म करना होता तो हम इन पर इतना निवेश क्यों करते। उन्होंने कहा कि सरकार मंडियों को आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपये ख़र्च कर रही है।

मोदी ने कहा, ‘सरकारों की नीतियों को लेकर सवाल उठना लोकतंत्र का हिस्सा है। लेकिन अब विरोध का आधार सरकार के फ़ैसलों को नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामले में भी यही खेल खेला जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।

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क़मर वहीद नक़वी
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