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ज्ञानवापी मामले की सुप्रीम कोर्ट में 14 अप्रैल को सुनवाई 

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह 14 अप्रैल को वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मामले की सुनवाई करेगा और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद परिसर के अंदर वजू करने की अनुमति देने के उनके अनुरोध के संबंध में अर्जी दायर करने की अनुमति दी। यह जानकारी न्यूज एजेंसी एएनआई ने बार एंड बेंच के हवाले से दी है।

सुप्रीम कोर्ट के सामने मामले का उल्लेख करते हुए, वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा: यह रमज़ान का महीना है और नमाज़ियों को परिसर के अंदर प्रार्थना करने में अनुमति देना चाहिए।
इसके जवाब में एंड बेंच के अनुसार चीफ जस्टिस (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने इस संबंध में एक आवेदन दायर करने के लिए कहा।

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वुजू क्षेत्र, जहां नमाज से पहले वजू होता है, विवाद के केंद्र में है क्योंकि हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि विवादित क्षेत्र के केंद्र में एक शिवलिंग पाया गया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई 2022 को उस जगह के संरक्षण का आदेश दिया था।
मई 2022 में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह पूरा मामला वाराणसी के जिला जज को ट्रांसफर कर दिया था। अदालत ने आदेश दिया था कि इस मामले में आई तमाम अर्जियों को भी जिला जज के पास ट्रांसफर किया जाना चाहिए।
इस मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन, वाराणसी के समक्ष याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि मुगल शासक औरंगजेब ने ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण भगवान विश्वेश्वर के मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया था। मुस्लिम पक्ष की ओर से ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत मांग की गई थी कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया जाए। लेकिन पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार किया था और कहा कि अब इस मामले को जिला जज के द्वारा ही देखा जाएगा।

क्या है पूरा विवाद?

क्या है ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, इसे जानना बेहद जरूरी है। चूंकि वापी का मतलब होता है कुआं इसलिए ज्ञानवापी का मतलब है ज्ञान का कुआं।
  • ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में सबसे पहले वाराणसी की एक अदालत में याचिका दायर की गई थी और इस पर ही सर्वे का फैसला आया था। याचिका में कहा गया था कि हिंदुओं को श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की इजाजत दी जाए। याचिका में कहा गया था कि मसजिद की पश्चिमी दीवार पर श्रृंगार गौरी की छवि है। 
  • याचिका में यह भी मांग की गई थी कि मस्जिद के प्रबंधकों को पूजा, दर्शन, आरती करने में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से रोका जाए। यहां यह भी बताना जरूरी है कि 1991 तक यहां पर नियमित रूप से पूजा होती थी। लेकिन अब यहां साल में एक बार नवरात्रि के दिन ही पूजा का कार्यक्रम होता है। 

अदालत पहुंचा मामला

1991 में ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में स्थानीय पुजारियों ने वाराणसी की एक अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को गिरा दिया था और ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण उसके ही आदेश पर हुआ था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महाराजा विक्रमादित्य ने 2050 साल पहले कराया था। उन्होंने यह भी दावा किया था कि ज्ञानवापी परिसर में भगवान विश्वनाथ का ज्योतिर्लिंग मौजूद है।
  • याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि जिस जमीन पर ज्ञानवापी मस्जिद बनी है उसे हिंदुओं को दिया जाना चाहिए। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पूजा की अनुमति देने की भी मांग की थी। 
  • वाराणसी की अदालत में से होता हुआ यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट तक गया और हाई कोर्ट ने 1993 में इस मामले पर स्टे लगा दिया। 

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इसके बाद साल 2019 के दिसंबर महीने में वाराणसी के एक वकील विनय शंकर रस्तोगी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई के द्वारा सर्वे कराए जाने की मांग की। अप्रैल, 2021 में दिल्ली की 5 महिलाओं - राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू और दो अन्य ने वाराणसी की एक अदालत में याचिका दायर कर श्रृंगार गौरी, गणेश, हनुमान नंदी आदि देवी-देवताओं की हर दिन पूजा की अनुमति देने की इजाजत मांगी। 26 अप्रैल, 2022 को वाराणसी की एक अदालत ने मस्जिद में सर्वे कराए जाने का आदेश दिया।
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