राष्ट्रीय जाँच एजेंसी यानी एनआईए ने बुधवार को देश में आत्मघाती हमले की तैयारियों की साज़िश को नाकाम करने का दावा करते हुए 6 जगहों पर छापामारी करके 10 लोगों को गिरफ़्तार किया था। गिरफ़्तार किए गए संदिग्धों के परिवार वालों ने एनआईए के तमाम दावों को झूठा करार दिया है। उनका दावा है कि 8 घंटे की तलाशी के बावजूद एनआईए को उनके घर से कोई भी आपत्तिजनक सामान नहीं मिला। परिवार वालों का कहना है कि तलाशी के बाद ख़ुद एनआईए के अधिकारियों ने उन्हें बताया था कि उनके यहाँ से कोई भी आपत्तिजनक सामान नहीं मिला है। उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि एनआईए ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इतने बड़े पैमाने पर हथियारों और विस्फोटकों की बरामदगी कहाँ से दिखाई है।
एनआईए के दावे
जहाँ संदिग्धों के परिवार वाले उन्हें पूरी तरह बेकसूर बता रहे हैं वहीं एनआईए का दावा है कि गिरफ़्तार करके जेल भेजे गए सभी नौजवान आईएसआईएस के लिए काम करने वाले अबू हुज़ैफ़ा के संपर्क में थे। एनआईए के सूत्रों के मुताबिक़, अबू हुज़ैफ़ा सोशल मीडिया पर भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलिम नौजवानों से संपर्क करके उन्हें पहले उनका ब्रेनवाश करता है और धीरे-धीरे उन्हें आईएसआईएस में भर्ती होने के लिए प्रेरित करता है। एनआईए सूत्रों के मुताबिक़ अबू हुज़ैफ़ा पाकिस्तानी है और पाकिस्तानी ख़ुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम करता है। आईएसआईएस में भर्ती करने का काम करता है। एनआईए के सूत्रों के मुताबिक़ यह गिरफ़्तार किए गए सभी संदिग्ध वॉट्सएप और टेलीग्राम एप के ज़रिये अबू हुज़ैफ़ा के संपर्क में थे।
एनआईए सूत्रों के मुताबिक़ भारतीय ख़ुफिया एजेंसियाँ पिछले काफ़ी दिनों से अबू हुज़ैफ़ा के सोशल मीडिया हैंडल खंगाल रही थी। उसी दौरान पकड़े गए संदिग्ध के बारे में पता चला। एनआईए क़रीब 6 महीने से इन पर नज़र रखे हुए थी। इनके ख़िलाफ़ पुख्ता सबूत होने पर छापे की कार्रवाई की गई।
एनआईए के दावे कितने सही?
'सत्य हिंदी' ने दिल्ली में उन सभी छह ठिकानों पर जाकर पड़ताल की जहाँ बुधवार को एनआईए ने छापे मारे थे। हमारी पड़ताल में एनआईए के दावों की पूरी तरह से पुष्टि नहीं होती है। एनआईए ने देश को दहला देने वाली साज़िश का मास्टरमाइंड अमरोहा से गिरफ्तार किए गए मुफ्ती सुहेल को बताया है। एनआईए ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रे़ंस में दावा किया था कि सुहेल अमरोहा का रहने वाला है, जबकि सच्चाई यह है कि सुहेल दिल्ली का रहने वाला है और कुछ ही महीने पहले मसजिद में इमाम बनकर अमरोहा गया है। दिल्ली में ही उसने आलिम और इफ्ता की पढ़ाई की है। सोहेल के वालिद हफ़ीज़ अहमद के मुताबिक़ उनका बेटा सीधा-साधा मज़हबी इंसान है। एनआईए की तरफ़ से सुहेल पर लगाए गए आरोपों से वह सकते में हैं। वह सभी आरोपों को झूठा बताते हैं और यह उम्मीद जताते हैं कि जाँच में उनका बेटा बेदाग़ निकलेगा।
इन्वर्टर को सही करने के औजार जब्त किए?
तलाशी का पूरा ब्यौरा बताते हुए हफ़ीज़ अहमद कहते हैं कि 8 घंटे में एनआईए के लोगों ने उनके घर का चप्पा-चप्पा छान मारा। यहाँ तक कि बिजली के स्विच बोर्ड तक खोल कर देखे। 8 घंटे की तलाश में उन्हें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला। हबीब अहमद इनवर्टर ठीक करने का काम करते हैं। लिहाज़ा उनके घर इन्वर्टर ठीक करने में इस्तेमाल होने वाले औजार और सामान भी हैं। इनमें से कुछ सामान एनआईए के अधिकारियों ने ज़ब्त किया है लेकिन एनआईए ने उन्हें लिख कर दिया कि आपके घर से कोई भी आपत्तिजनक चीज बरामद नहीं हुई है। हालाँकि एनआईए की तरफ़ से लिख कर दिए गए कागज को वे दिखाने में नाकाम रहे।
कोरे कागज पर दस्तख़त कराने का आरोप
हफ़ीज़ अहमद का यह भी आरोप है कि 8 घंटे की तलाशी के बाद अधिकारियों ने उनसे कोरे कागज पर यह कहकर दस्तख़त कराए थे कि उन्हें जल्दी है। आप सिर्फ़ दस्तख़त कर दीजिए। उनका यह भी दावा है कि अमरोहा में ली गई तलाशी में भी एनआईए के लोगों को कुछ आपत्तिजनक नहीं मिला है वहाँ पर भी उन्होंने कोरे कागज पर दस्तख़त कराए हैं और बाद में बरामदगी में दिखाई गई चीजों का ब्योरा उस कागज पर लिखा होगा। शाम को उन्हें पता चला कि उनके बेटे मुफ्ती सोहेल को गिरफ्तार कर लिया गया है।- एनआईए की प्रेस कॉन्फ्रे़ंस में मुफ्ती सोहेल के हवाले से रिमोट कंट्रोल वाला बम बनाने का जो वीडियो दिखाया गया है उसके बारे में उनके पिता को कुछ भी जानकारी नहीं है। उनके आसपास रहने वाले लोगों का भी यही कहना है कि जहाँ तक वह मुफ्ती शहर को जानते हैं वह जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं उस तरह का इंसान तो नहीं है।
पूछताछ के बाद क्यों नहीं छोड़ा?
एनआईए ने मेडिकल स्टोर चलाने वाले आज़म को भी गिरफ्तार किया है। आज़म के वालिद हफ़ीज़ अहमद अपने बेटे को पूरी तरह बेकसूर बताते हैं और उम्मीद जताते हैं कि हर जाँच से वह बेदाग़ निकलेगा। उनका कहना है कि उनके घर भी पुलिस तड़के 4 और 5 के बीच में आई थी और क़रीब 8 घंटे की तलाशी ली और उनके घर से भी पुलिस को कुछ आपत्तिजनक नहीं मिला। यह बात ख़ुद एनआईए के अधिकारियों ने उन्हें बताई थी। उनका भी दावा है कि उनसे कोरे कागज पर दस्तख़त कराए गए। उनसे कहा गया कि उनके घर से उन्हें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है और आज़म को पूछताछ के लिए ले जा रहे हैं। पूछताछ के बाद उसे छोड़ देंगे। शाम को आज़म की गिरफ्तारी की ख़बर से वह सदमे में हैं। उनके मुताबिक़ मुफ्ती सोहेल और आज़म के बीच सिर्फ़ इतना ताल्लुक़ है कि मुफ्ती सोहेल अक्सर आज़म के मेडिकल स्टोर पर दवाई लेने के लिए आया करता था। कभी-कभार मज़हबी मुद्दों पर आपस में बातचीत होती थी।
- आज़म के पड़ोसियों के मुताबिक़ आज़म एक सीधा-साधा और अपने काम से काम रखने वाला लड़का है। एनआईए की तरफ़ से लगाए गए आरोपों पर यहाँ के लोग हैरान हैं और इसे किसी साज़िश का हिस्सा मानते हैं।
रंग के डब्बे, पीओपी का एक कट्टा क्यों ले गए?
ज़ाफ़राबाद की गली नंबर 24 से पकड़े गए अनस के घर पर कोई बात करने के लिए मौजूद नहीं था। क्योंकि उसके घर वाले कोर्ट गए हुए थे। उसके पड़ोसियों ने अनस को एक होनहार छात्र बताया। अनस नोएडा के अमेटी इंजीनियरिंग कॉलेज से बी-टेक की पढ़ाई कर रहा है। अनस के घर के सामने आने वाले मोहम्मद कलीम कहते हैं, 'ज़ाहिर तौर तो अनस के बारे में ऐसा नहीं लगता कि वह किसी संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होगा, लेकिन अंदर की बात हम कैसे कह सकते हैं।' अनस के घर पीओपी प्लास्टर ऑफ पेरिस का काम होता है।
एनआईए द्वारा पकड़े गए संदिग्ध अनस के एक पड़ोसी ने बताया कि एनआईए वाले उसके घर से पीओपी के काम में इस्तेमाल होने वाले रंग के डब्बे और एक कट्टा पीओपी लेकर गए हैं। उन्हें शक है कि एनआईए इसी पीओपी को विस्फोटक पदार्थ बता कर अनस जैसे होनहार छात्र को फँसा रही है।
और मोटर के तार से क्या लेना-देना?
ज़ाफ़राबाद की गली नंबर 25 से एनआईए ने दो सगे भाइयों ज़ैद और ज़बेर को पकड़ा है। इनमें से एक बीए थर्ड ईयर का छात्र है और दूसरा अपने घर पर ही बनी फ़ैक्ट्री में मोटर बनाने का काम करता है। इनके घर वालों का भी कहना है कि एनआईए ने उनके घर से मोटर बनाने में इस्तेमाल होने वाले तार और कुछ और सामान ज़ब्त किया है। उन्हें भी बताया गया कि उनके पास से भी कुछ आपत्तिजनक नहीं मिला है। और उनसे भी कोरे कागज पर दस्तख़त कराए गए।
ज़ाफ़राबाद की गली नंबर 35 मेन रोड पर ज़फ़र एंटरप्राइजे़ज़ नाम से जैकेट का कारोबार करने वाले ज़फ़र को भी एनआईए ने आतंकी गतिविधियों के तहत गिरफ़्तार किया है। ज़फ़र के चाचा अफजाल के मुताबिक़ क़रीब 7 -8 घंटे चली छापे की कार्रवाई में एनआईए ने उनके घर का चप्पा-चप्पा छान मारा। बाद में यह कहते हुए कोरे कागज पर दस्तख़त करा लिया है कि आपके घर से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है। ज़फ़र को पूछताछ के लिए ले जा रहे हैं और शाम तक छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि उनका दावा है कि मेरे घर से पाँच लाख रुपए भी ज़ब्त किए हैं जो ज़फ़र और उसके भाइयों की साझा रक़म है। अफजाल के मुताबिक़ ज़फ़र, अनस, ज़ैद और ज़बेर 12वीं क्लास तक साथ-साथ पढ़ते थे। इस नाते इनमें आपसी मेलजोल भी है।
एनआईए के छापों से पूरे इलाक़े में दहशत
- ज़ाफराबाद में छह जगह एनआईए के छापों से पूरे इलाक़े में दहशत का माहौल है। ज़्यादातर लोग इसे मुसलमानों को बदनाम करने के लिए अगले लोकसभा चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की साज़िश मान रहे हैं।
- लेकिन जब लोगों से यह सवाल किया जाता है कि एनआईए ने सिर्फ़ इन्हीं को क्यों पकड़ा अगर साज़िश ही करनी है तो कुछ और लोगों को भी पकड़ सकती थी, आपको भी पकड़ सकती है तो फिर साज़िश की बात करने वाले चुप्पी साध लेते हैं।
- कुछ लोगों का कहना यह भी है कि हो सकता है कि इन लोगों ने वॉट्सएप पर कोई ग्रुप बनाया है और मज़हबी जज़्बाती बातें करते हों लेकिन किसी आतंकी या फ़िदायीन हमले की साज़िश करेंगे, यह नामुमकिन है।
आईएसआईएस आतंकी देसी कट्टे-सुतली बम रखते हैं?
लोगों को इस बात पर भी हैरानी है कि जब छह की छह छापे वाली जगह पर एनआईए को कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला तो शाम होते-होते एनआईए ने इतने जखीरे की बरामदगी कैसे दिखा दी। ज़्यादातर लोगों का कहना है कि एनआईए के दावे और बरामदगी में दिखाए गए सामान आपस में मेल नहीं खाते। इस बात को लेकर वैसे भी सवाल उठ रहे हैं कि आईएसआईएस से जुड़े लोग क्या देसी कट्टे और सुतली बम का इस्तेमाल करके किसी बड़ी साज़िश को अंजाम देने की योजना बना रहे थे? लोग इस पर भी सवाल उठा रहे हैं कि एनआईए यह क्यों नहीं बता रही कि किसके घर से क्या-क्या सामान बरामद किया गया है। अगर एनआईए यह डिटेल बताए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। फ़िलहाल जाफराबाद के लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कैसे सामूहिक रूप से क़ानूनी लड़ाई लड़ी जाए। वे यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि पकड़े गए सभी युवक बेक़सूर हैं।
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