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करोड़ों के प्रचार से चमकाया जाएगा मोदी का चेहरा

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपनी छवि चमकाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान छेड़ने वाली है। इसके तहत सरकार की 14 स्कीमों से जुड़े विज्ञापन प्रचार माध्यमों पर दिखाए जाएँगे और लोगों को बताया जाएगा कि सरकार ने जनता के लिए कितना कुछ किया है। यह प्रचार अभियान तीन महीने चलेगा और आम चुनावों की घोषणा होने और आचार संहिता लागू होने के पहले ही ख़त्म हो जाएगा। ज़ाहिर है, इस पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे। 

सरकार ने इसके लिए जिन 18 कंपनियों को ‘शॉर्टलिस्ट’ किया है, उनमें ज़्यादातर वे कंपनियां हैं, जिन्होंने इसके पहले भारतीय जनता पार्टी या मोदी के प्रचार अभियान का जिम्मा संभाला था। इनमें प्रमुख है ओगिलवी एंड मेथर, जिसके प्रमुख पियूष पांडेय का प्रधानमंत्री से नज़दीकी है। इसी कंपनी ने 2014 में मोदी का प्रचार अभियान संभाला था। सबसे मशहूर हुआ स्लोगन ‘अबकी बार, मोदी सरकार’, पांडेय का ही गढ़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बीजेपी की कमान संभालने वाली कंपनी वर्मिलियन कम्युनिकेशन भी इस सूची में है। यह कंपनी रामदेव की पतंजलि के विज्ञापन का काम देखती है। क्रेयॉन्स एडवर्टाइजिंग ने बीजेपी के अलावा उसके सहयोगी अकाली दल का चुनाव प्रचार भी देखा था। 

Govt to launch ad campaign to improve Modi image before 2019 polls - Satya Hindi
ओगिलवी एंड मेथर के प्रमुख पियूष पांडेय प्रधानमंत्री के क़रीब समझे जाते हैं।
विज्ञापनों का मूल मंत्र होगा यह दिखाना कि किस तरह पिछले पाँच साल में देश की कायापलट हो गई है। इन 14 केंद्रीय स्कीमों के प्रचार में यह दावा किया जाएगा कि ग़रीब, पिछड़े, किसान, महिलाओं और युवाओं की स्थिति में ज़बरदस्त सुधार हुआ है।

बीजेपी प्रचार से जुड़ी कंपनियां

जनधन योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना, अटल पेंशन योजना, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, आयुष्मान भारत, मेक इन इंडिया जैसी स्कीमों पर फ़ोकस किया जाएगा। 

विज्ञापन कंपनियों की अंतिम सूची अभी नहीं बनी है। पर अलग-अलग कंपनियों की ज़िम्मेदारी अलग-अलग होगी। टीवी, जिंगल्स, होर्डिंग्स, अख़बार में विज्ञापन देने का काम अलग अलग कंपनियां करेंगी। एक कंपनी सिर्फ़ प्रचार सामग्री तैयारी करेगी। कुल मिला कर यह बहुत बड़ा प्रचार हमला होगा, जिसके तहत तीन महीने तक लगातार इन स्कीमों की तारीफ़ करने वाले और प्रधानमंत्री की कामयाबी के गुण गाने वाले विज्ञापन लोगों को दिखाए जाएंगे। 

यह प्रचार अभियान मार्च तक चलेगा। इनमें से कुछ कंपनियों को इसके बाद बीजेपी के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान का काम मिलेगा। हालाँकि वह अभियान सरकार का नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ दल का होगा, पर दोनों अभियान मिल कर प्रधानमंत्री की महान छवि गढ़ने की कोशिश करेंगे। 

Govt to launch ad campaign to improve Modi image before 2019 polls - Satya Hindi
2014 में चलाए गए इस प्रचार अभियान ने मोदी की छवि गढ़ने में मदद की थी।
लेकिन यह प्रचार अभियान बहुत आसान नहीं होगा। पिछली बार यानी 2014 के आम चुनावों के समय भी मोदी की छवि गढ़ने के लिए व्यापक प्रचार अभियान चलाया गया था और उसका ज़बरदस्त नतीजा सामने आया था। पर इस बार स्थितियाँ अलग हैं। उस समय लोग तत्कालीन सरकार से नाराज़ थे और मोदी की ओर एक नई उम्मीद से देखते थे। ऐसे में विज्ञापन का काम आसान था। पर इस बार ऐसा नहीं है। लोगों ने मोदी से जो उम्मीदें की थीं, वे उस तरह पूरी नहीं हुईं और लोग नाराज़ हैं। ऐसे में उनकी छवि गढ़ने का काम बेहद चुनौती भरा होगा। 
विज्ञापन गुरुओं का कहना है कि 2014 की तुलना में इस बार लोगों को समझाना ज़्यादा कठिन है क्योंकि लोगों ने मोदी से जो उम्मीदे की थीं, वे उस तरह पूरी नहीं हुईं। नाराज़ लोगों के बीच मोदी को 'बेचना' चुनौती भरा होगा।
लेकिन यह प्रचार अभियान बहुत आसान नहीं होगा। पिछली बार यानी 2014 के आम चुनावों के समय भी मोदी की छवि गढ़ने के लिए व्यापक प्रचार अभियान चलाया गया था और उसका ज़बरदस्त नतीजा सामने आया था। पर इस बार स्थितियाँ अलग हैं। उस समय लोग तत्कालीन सरकार से नाराज़ थे और मोदी की ओर एक नई उम्मीद से देखते थे। ऐसे में विज्ञापन का काम आसान था। पर इस बार ऐसा नहीं है। लोगों ने मोदी से जो उम्मीदें की थीं, वे उस तरह पूरी नहीं हुईं और लोग नाराज़ हैं। ऐसे में उनकी छवि गढ़ने का काम बेहद चुनौती भरा होगा। 
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क़मर वहीद नक़वी
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