केंद्र सरकार ने एलान किया है कि वह चुनाव आयोग की सिफ़ारिशों को ध्यान में रखते हुए चुनाव प्रक्रिया में अहम सुधार करेगी। इसका मक़सद इसे और आसान व समावेशी बनाना होगा।
केंद्र सरकार इसके तहत चार अहम सुधार करेगी- वह मतदाता सूची को और मजबूत करेगी, चुनाव प्रक्रिया को अधिक समावेशी बनाएगी, चुनाव आयोग को सशक्त करेगी और डुप्लीकेशन यानी एक ही काम को कई बार करने की व्यवस्था को ख़त्म करेगी।
सरकार ये चुनाव सुधार संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ही पेश कर देगी।
इसके तहत स्वैच्छिक आधार पर वोटर आईडी को 'आधार' से लिंक करने की इजाजत दी जाएगी।
चार बार रजिस्ट्रेशन
सरकार ने कहा है कि 18 वर्ष पूरे करने वाले पहली बार के मतदाता, साल में एक बार 1 जनवरी के बजाय अब चार अलग-अलग समय सीमाओं पर चार बार रजिस्टर कर सकेंगे।
निर्वाचन आयोग को चुनाव संचालित करने के लिए किसी परिसर को अधिग्रहीत करने के सभी अधिकार दिए जाएंगे। दरअसल, चुनाव के दौरान स्कूल आदि को अधिग्रहीत करने को लेकर कुछ ऐतराज थे।
जिस तरह पैन और आधार कार्ड को जोड़ा गया है, उसी तरह आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को भी जोड़ा जाएगा, लेकिन यह पूरी तरह वैकल्पिक होगा। यानी वोटर की इच्छा पर निर्भर होगा। सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के आधार पर यह किया जाएगा।
चुनाव आयोग ने कहा है कि इन सुधारों से जुड़ा पायलट प्रोजेक्ट कामयाब रहा है और इसे ज़मीनी स्तर पर लागू करने का समय आ गया है।
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