केंद्र सरकार ने पेगासस जासूसी मामले में साफ कहने के बजाय गोलमोल जवाब दिया है। इसने 'अनधिकृत जासूसी' से इनकार किया है, आरोपों को 'तथ्यों से परे' बताया है और कहा है कि 'ऐसा लगता है कि पहले ही निष्कर्ष निकाल लिया गया है'।
इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि सारी बातें पहले से सबको मालूम है।
'द वायर' का कहना है कि पत्रकारों के कंसोर्शियम के भेजे सवालों के जवाब में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा है, "तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इन सवालों के जवाब पहले से ही लोगों को पता हैं। इससे यह भी पता चलता है कि मीडिया संगठनों ने गंभीरता से रिसर्च नहीं किया है और न ही गंभीरता से इस पर विचार किया है।"
मंत्रालय ने पहले के एक आरटीआई सवाल के हवाले से कहा है कि यह पहले ही कहा जा चुका है कि भारत सरकार का पेगासस से कोई सम्बन्ध नहीं है।
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सरकार जिस आरटीआई सवाल का हवाला दे रही है वह अक्टूबर 2019 में पूछा गया था और उसके जवाब में सरकार ने पेगासस सॉफ़्टवेअर खरीदने या उसे खरीदने पर विचार करने से इनकार नहीं किया था।
आरटीआई का सवाल क्या था?
आरटीआई कार्यकर्ता सौरभ दास ने एक आरटीआई आवेदन देकर तीन सवाल पूछे थे। उन्होंने सवाल किया था कि क्या सरकार ने पेगासस स्पाइवेअर खरीदा है, क्या इसे खरीदने का सरकार का कोई इरादा है और क्या इसे खरीदने का प्रस्ताव क्या कभी था?
Here's the reply they gave me and claim "sufficiently counters" all the allegations in today's expose.
— Saurav Das (@OfficialSauravD) July 18, 2021
The answering officer simply washes off his hands and plays safe. Pretty sad that this is the standard of defence from the @PIBHomeAffairs @GoI_MeitY pic.twitter.com/p2JDm0Xlr2
प्रोटोकॉल का हवाला
सरकार ने पेगासस प्रोजेक्ट पर कहा है, "सरकारी एजंसियाँ किसी को इंटरसेप्ट करने के लिए तयशुदा प्रोटोकॉल का पालन करती है। इसके तहत पहले ही संबंधित अधिकारी से अनुमति लेनी होती है, पूरी प्रक्रिया की निगरानी रखी जाती है और यह सिर्फ राष्ट्र हित में किया जाता है।"
सरकार ने ज़ोर देकर कहा कि इसने किसी तरह का अनधिकृत इंटरसेप्शन नहीं किया है।
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पेगासस स्पाइवेअर हैकिंग करता है और सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून 2000 के अनुसार, हैकिंग अनधिकृत इंटरसेप्शन की श्रेणी में ही आएगा।
सरकार ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि ये बातें बेबुनियाद हैं और निष्कर्ष पहले से ही निकाल लिए गए हैं।
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