नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर पूर्वोत्तर में उबाल है। इस क़ानून के ख़िलाफ़ असम, त्रिपुरा और मेघालय से शुरू हुए प्रदर्शन की आंच दिल्ली में जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय तक पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश के कई शहरों में इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किये जाने के वीडियो और फ़ोटो सोशल मीडिया में तेज़ी से वायरल हो रहे हैं। मुख्य विपक्षी राजनीतिक दल कांग्रेस सहित कई अन्य दलों ने इस क़ानून को विभाजनकारी बताते हुए इसकी जोरदार मुख़ालफत की है।
यहां बात हो रही है, मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय की। ऐसे नाजुक मौक़े पर तथागत रॉय ने ऐसा बयान दिया है जिससे विरोध की आग और भड़क सकती है। रॉय ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, ‘विवाद के वर्तमान माहौल में दो बातों को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए। पहली यह कि देश कभी धर्म के आधार पर विभाजित हुआ था और दूसरी यह कि ‘लोकतंत्र अनिवार्य रूप से विभाजनकारी है और जो लोग ऐसा नहीं चाहते हैं वे उत्तरी कोरिया चले जाएं।’ नॉर्थ कोरिया के शासक किम जोंग-उन हैं और उन्हें तानाशाह माना जाता है।
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर विपक्षी दल यह आरोप लगा रहे हैं कि यह विभाजनकारी है और राज्यपाल रॉय कह रहे हैं कि लोकतंत्र अनिवार्य रूप से विभाजनकारी है। तो क्या यह नहीं माना जाना चाहिए कि रॉय इस क़ानून का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कर रहे हैं।
मेघालय में भी इस क़ानून के ख़िलाफ़ लोग जोरदार विरोध कर रहे हैं। शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों ने राजभवन तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने लाठीचार्ज करके उन्हें खदेड़ दिया। इसमें कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए। प्रदर्शनकारी राज्यपाल से माँग कर रहे थे कि वह बाहरी लोगों के राज्य में प्रवेश पर अनिवार्य पंजीकरण के लिए प्रस्तावित अध्यादेश को अपनी सहमति दें। उनकी यह भी माँग थी कि केंद्र सरकार राज्य में इनर लाइन परमिट को लागू करे।
देते रहे हैं विवादित बयान
रॉय पहले भी विवादित बयान देते रहे हैं। बंगाल से संबंध रखने वाले रॉय ने इस साल जून में बंगाल के ही लोगों के ख़िलाफ़ अशोभनीय बयान दे दिया था। रॉय ने कहा था, ‘बंगाल की महानता ख़त्म हो गई है और बंगाली या तो घरों में झाड़ू-पोछा लगाते हैं या फिर बार डांसर हैं।’ वह हिंदी का विरोध करने वाले राज्यों के बारे में प्रतिक्रिया दे रहे थे और उन्होंने कहा था कि बंगाल में हिंदी का विरोध करने के कारणों में दम नहीं है और यह पूरी तरह राजनीतिक है।
अपनी राय बतायें