रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि आर्मी अगले दो से तीन वर्षों में मौजूदा 12.7 लाख से अपनी ताकत में लगभग 2 लाख की कटौती करने की योजना बना रही है। द टेलीग्राफ के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि सरकार आधुनिक तकनीक से चलने वाली सेना चाहती है। इस प्रस्ताव को सेना के बढ़ते वेतन और पेंशन बिलों को कम करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है जिसे सरकार आर्मी के आधुनिकीकरण में बाधा मानती है।
इसी आर्थिक उद्देश्य के कारण इस साल जून में सरकार ने विवादास्पद अग्निपथ योजना की घोषणा की थी, जिसके तहत सेना, वायु सेना और नौसेना में तीन-चौथाई रंगरूटों को चार साल बाद बिना पेंशन या ग्रेच्युटी के पद से हटा दिया जाएगा।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा: आर्मी अपनी ताकत को युक्तिसंगत बनाने की दिशा में काम कर रही है और अगले दो-तीन वर्षों में अपनी ताकत को लगभग 2 लाख कम करने की योजना बना रही है। इससे पैसे की काफी बचत होगी और वही पैसा सेना के लिए अत्याधुनिक साजो-सामान खरीदने के काम आएगा।
सेना ने घोषणा की है कि अग्निपथ योजना के तहत इस साल करीब 35,000 से 40,000 सैनिकों की भर्ती की जाएगी। यह प्रक्रिया देश के तमाम शहरों और कस्बों में शुरू भी हो चुकी है। लेकिन इस योजना के तहत भर्ती जवान चार साल में रिटायर हो जाएंगे। सरकार को रिटायर होने वाले ऐसे जवानों को पेंशन और ग्रैच्युटी नहीं देना पड़ेगी। इससे पैसे की काफी बचत होगी।
इस योजना के खिलाफ हिंसक विरोध के बावजूद, केंद्र ने इसे वापस लेनेे से इनकार किया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि सशस्त्र बलों में भविष्य में सभी निचले रैंकों की भर्तियां नई योजना के माध्यम से की जाएंगी।
हालांकि तमाम रक्षा विशेषज्ञों, पूर्व सैन्य अफसरों ने "बिना सोचे समझे" अग्निपथ योजना को लागू करने के लिए सरकार को यह कहते हुए फटकार लगाई है कि यह सशस्त्र बलों में अनुशासन, प्रोफेशनलिज्म और मनोबल को कमजोर करेगी।
बहरहाल, सरकार की अग्निपथ योजना को बेरोजगार युवकों की तरफ से अच्छा समर्थन मिला है। अग्निपथ के लिए सरकार के पास 1 अगस्त तक 32.5 लाख आवेदन आए हैं। जिनमें सेना की 25 हजार वैकेंसी है लेकिन इन पदों के लिए 17.17 लाख आवेदन आए हैं। इसी तरह नेवी में 3 हजार वैकेंसी हैं, जिनके लिए 7.70 लाख आवेदन आए हैं। एयरफोर्स में भी 3 हजार वैकेंसी हैं, जिसके लिए 7.69 लाख आवेदन आए हैं।
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