दिल्ली के जहांगीरपुरी से लेकर कर्नाटक में हुबली और आंध्र प्रदेश के कुरनूल में साम्प्रदायिक तनाव के बीच केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि सरकार का काम यह बताना नहीं है कि लोग क्या खाएं और क्या नहीं खाएं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नकवी ने कहा कि भारतीयों को अपना फेथ (धार्मिक आस्था) मानने की आजादी है। उन्होंने हिजाब के मुद्दे पर कहा कि भारत में हिजाब पर कोई रोक नहीं है।
दक्षिणपंथी विचारधारा को मानने वाली मोदी सरकार के मंत्री नकवी के इंटरव्यू को द इकोनॉमिक टाइम्स ने प्रकाशित किया है।हालांकि पिछले दस दिनों से देश के तमाम राज्यों से साम्प्रदायिक हिंसा की खबरें लगातार आ रही हैं। इनमें बीजेपी शासित राज्य ज्यादा है। हनुमान जयंती पर शनिवार को नई दिल्ली में एक हिंदू धार्मिक जुलूस के दौरान हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें छह पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए।
नकवी ने द इकोनॉमिक टाइम्स अखबार को बताया कि कुछ लोग देश में शांति और समृद्धि को पचा नहीं पा रहे हैं। भारत की मिलीजुली संस्कृति को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। बता दें कि देश के कुछ हिस्सों में धार्मिक जुलूसों के दौरान बहुसंख्यक हिंदू और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के बीच छोटी-छोटी बातों पर साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई हैं। दिल्ली में जेएनयू परिसर में रामनवमी के दौरान हॉस्टल में मांसाहारी भोजन परोसने पर विवाद हुआ। जिसमें कुछ छात्र-छात्राओं को मारा-पीटा गया। विवाद फैलाने का आरोप एबीवीपी पर लगा है। उसका कहना है कि विवाद के लिए वामपंथ समर्थक छात्र जिम्मेदार हैं। नकवी ने इस सवाल पर कहा-
हाल के वर्षों में, पीएम मोदी के बीजेपी के शासन ने कट्टर धार्मिक समूहों को उन मुद्दों को उठाने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिसमें वो कहते हैं कि वे हिंदू धर्म की रक्षा कर रहे हैं। कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर कॉलेज-स्कूल जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था।
भारत के 13 विपक्षी दलों ने शनिवार को सार्वजनिक रूप से चिंता व्यक्त की कि कई धार्मिक मान्यताओं वाले भारत में हिंदुओं का प्रभुत्व है, लेकिन 20 करोड़ से अधिक मुसलमानों सहित तमाम अल्पसंख्यकों के साथ, पीएम मोदी के शासन में सहिष्णुता कम होती जा रही है।
नकवी ने हिजाब के मुद्दे पर कहा कि भारत में हिजाब पर कोई प्रतिबंध नहीं है। कोई भी बाजारों और अन्य जगहों पर हिजाब पहन सकता है। लेकिन हर कॉलेज या संस्थान का एक ड्रेस कोड, अनुशासन और मर्यादा होती है। हमें इसे स्वीकार करना होगा। अगर आपको यह पसंद नहीं है, तो आप कर एक अलग संस्थान चुनें।
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