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बेरोजगारी दर में 0.02 फीसदी की कमी कोई बहुत बड़ा चमत्कार नहीं है। हालांकि केंद्र सरकार की एजेंसी गिरावट का दावा कर रही है। लेकिन दरअसल आंकड़ा यह बताता है कि बेरोजगारी दर स्थिर है। वो न तो बढ़ी है और न ही उल्लेखनीय गिरावट के साथ नीचे आई है। 0.02 फीसदी की गिरावट कोई मायने नहीं रखती है।
आंकड़े बता रहे हैं कि कृषि में श्रमिकों के वितरण में मामूली वृद्धि हुई है और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में पिछले वर्षों की तुलना में नौकरियां देने में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है।
इस साल जनवरी-मार्च के दौरान बेरोजगारी दर 6.7 प्रतिशत तक पहुंचने के बाद शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में गिरावट की यह लगातार दूसरी तिमाही है। लिंग आधारित विभाजन से पता चला कि महिलाओं के लिए बेरोजगारी दर भी जुलाई-सितंबर में 8.4 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर थी। हालाँकि, यह लगातार पांचवीं तिमाही है जब महिला बेरोजगारी दर 8 प्रतिशत से ऊपर रही। पुरुषों के लिए, बेरोजगारी दर जुलाई-सितंबर में कम होकर 5.7 प्रतिशत हो गई, जो एक तिमाही पहले 5.8 प्रतिशत और एक साल पहले 6 प्रतिशत थी।
शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) में लेबर फोर्स भागीदारी दर जुलाई-सितंबर में बढ़कर 50.4 प्रतिशत हो गई, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 49.3 प्रतिशत थी। अप्रैल-जून 2024 में यह दर 50.1 फीसदी थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने मौजूदा आंकड़े पर कहा कि इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा आर्थिक गतिविधियों और नियुक्तियों में तेजी का संकेत मिलता है।
बेरोजगारी की असलियत
श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) में वृद्धि और रोजगार दर में गिरावट के साथ जून में बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई। भारत में एलपीआर जून में बढ़कर 41.4 प्रतिशत हो गया, जो पिछले महीने में 40.8 प्रतिशत था। रोजगार दर, जो कामकाजी उम्र की आबादी में नियोजित व्यक्तियों का अनुपात है, जून 2024 में 38 प्रतिशत से गिरकर 37.6 प्रतिशत हो गई।
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