जी20 शिखर सम्मेलन की शनिवार 9 सितंबर को शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के तमाम देशों के बीच अविश्वास के संकट को खत्म करने की बात कही। 21वीं सदी के मौजूदा दौर के महत्व और पूरी दुनिया को एक नई दिशा दिखाने की जरूरत को पीएम मोदी ने रेखांकित किया। पीएम मोदी ने कहा कि कोविड महामारी के बाद ग्लोबल विश्वास की कमी को अब विश्वास और आत्मविश्वास में बदलने का समय गया है।
मोदी ने कहा कि विश्वास की कमी का संकट दुर्भाग्य से और भी गहरा हो गया है। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि अगर हम कोविड जैसी महामारी को हरा सकते हैं, तो हम इस विश्वास की कमी की चुनौती पर भी जीत हासिल कर सकते हैं। मोदी ने चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन समझा जाता है कि उनका इशारा चीन की तरफ था। चीन के राष्ट्रपति इस सम्मेलन में नहीं आए हैं। उनकी जगह वहां के प्रीमियर आए हैं।
मोदी ने मानव-केंद्रित नजरिए के साथ अपनी सभी जिम्मेदारियों को पूरा करके आगे बढ़ने के महत्व को रेखांकित किया। मोदी ने कहा- “यह वह समय है जब सदियों पुरानी चुनौतियाँ हमसे नए समाधान की मांग कर रही हैं। यह हम सभी के लिए एक साथ चलने का समय है!”
जी20 सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे नरेंद्र मोदी ने इससे पहले अफ्रीकी संघ को जी20 का सदस्य बनाया। सभी देशों ने इस प्रस्ताव से सहमति जताते हुए अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष का स्वागत किया।
जी 20 के पहले सत्र में 'वन अर्थ' पर चर्चा हो रही है। यह चर्चा के मुख्य विषयों में से एक है। क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन दुनियाभर में चिन्ता का विषय बना हुआ है। कई देशों ने इससे संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इससे संबंधित मुद्दे को अमेरिका बार-बार उठाता रहा है और सभी देशों से इस मुहिम में शामिल होने को कहता रहा है। अब इसमें तेजी लाने पर बात होगी।
G20 शिखर सम्मेलन पर भारत की पूरी छाप है। इसका थीम "वसुधैव कुटुंबकम" या "एक पृथ्वी - एक परिवार - एक भविष्य" है - जो महा उपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है। थीम यह बताती है कि मानव जीवन, पशु, पौधे और सूक्ष्मजीव किस तरह पृथ्वी ग्रह के लिए जरूरी हैं और कैसे ब्रह्मांड से उनके अंतर्संबंधों की पुष्टि होती है।
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