राहुल का सवाल
इस पूरे मामले की शुरुआत राहुल गाँधी से हुई, जब उन्होंने सरकार से पूछा कि सैनिकों को निहत्थे भेजा ही क्यों गया था।विदेश मंत्री का जवाब
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसका जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सीमा की ड्यूटी पर तैनात सारे सैनिक हथियारों से लैस होते हैं। गलवान में भी 15 जून को ऐसा ही हुआ था। लेकिन 1966 और 2005 के क़रारों के बाद व्यावहारिक रूप से सैनिकों के आमने-सामने होने पर हथियारों का इसतेमाल नहीं किया जाता है।Let us get the facts straight.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) June 18, 2020
All troops on border duty always carry arms, especially when leaving post. Those at Galwan on 15 June did so. Long-standing practice (as per 1996 & 2005 agreements) not to use firearms during faceoffs. https://t.co/VrAq0LmADp
रिटायर्ड लेफ़्टीनेंट जनरल का पलटवार
रिटायर लेफ़्टीनेंट जनरल एच. एस. पनाग ने इस पर कहा कि यह तो सीमा प्रबंधन के लिए बनी सहमति है, रणनीतिक सैन्य कार्रवाई के दौरान इसका पालन नहीं होता है। जब किसी सैनिक की जान का ख़तरा होता है, वह अपने पास मौजूद किसी भी हथियार का इस्तेमाल कर सकता है।Article 6 of 1996 Agreement! These agreements apply to border management snd not while dealing with a tactical military situation. Lastly when lives of soldiers or security of post/territory threatened, Cdr on the spot can use all weapons at his disposal including Artillery. pic.twitter.com/6J4KD33nhg
— Lt Gen H S Panag(R) (@rwac48) June 18, 2020
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