प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वायब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के 20 साल के सफर को याद किया और कहा कि उस वक्त केंद्र की कांग्रेस सरकार ने कोई सहयोग नहीं किया था। इसके बजाय, केंद्रीय मंत्रियों ने इस कार्यक्रम में भाग लेने से इनकार कर दिया और विदेशी निवेशकों को गुजरात में निवेश न करने की धमकी दी गई। लेकिन फिर भी, निवेशक आए। वे सिर्फ सुशासन, निष्पक्ष शासन, विकास और पारदर्शी सरकार के कारण आए।
पीएम मोदी ने दस पहले की कांग्रेस शासित केंद्र सरकार पर गुजरात की प्रगति को राजनीति के चश्मे से देखने का आरोप लगाया। मोदी ने कहा- “केंद्रीय मंत्री मुझसे कहते थे कि वे निश्चित रूप से आएंगे। पता नहीं पीछे से डंडा चलता था, वो मन कर देते थे। उन्होंने कभी सहयोग नहीं किया, वे बाधाएं पैदा करते थे।''
ताजा ख़बरें
पीएम मोदी ने कहा कि मुझे याद है कि 2009 में सभी ने मुझसे वायब्रेंट गुजरात का आयोजन न करने के लिए कहा था क्योंकि ग्लोबल मंदी थी। लेकिन मैंने मना कर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि वायब्रेंट गुजरात कभी भी गुजरात तक ही सीमित नहीं था, बल्कि सभी राज्यों को आमंत्रित किया गया था और कहा कि गुजरात को राष्ट्रीय नजरिए के साथ विकसित किया जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा, "गुजरात को हमेशा व्यापारियों के राज्य के रूप में जाना जाता था। लेकिन 21वीं सदी में, गुजरात एक कृषि, वित्तीय, औद्योगिक और विनिर्माण केंद्र बन गया जब राज्य ने अपने व्यापार को भी मजबूत किया।"
2003 में वायब्रेंट गुजरात यानी निवेशकों का शिखर सम्मेलन तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया था। इस साल बिजनेस समिट का 20वां साल है और पीएम मोदी ने बुधवार को इसके जश्न का उद्घाटन किया। वायब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट का 10वां संस्करण, जो 'गेटवे टू द फ्यूचर' थीम पर अगले साल 10 से 12 जनवरी के बीच गांधीनगर में आयोजित किया जाएगा।
स्वामी विवेकानन्द का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने बुधवार को कहा, ''स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि हर काम तीन चरणों से गुजरता है- पहले उसका मजाक उड़ाया जाता है, बाद में उसे विरोध का सामना करना पड़ता है और अंत में स्वीकार कर लिया जाता है।''
देश से और खबरें
इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने बुधवार को गुजरात के छोटा उदेपुर में 5,206 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया, जिसमें 22 जिलों में गांव की वाई-फाई सुविधाएं भी शामिल हैं।
अपनी राय बतायें