लॉकडाउन के बाद पहली बार कोई ट्रेन चली। तेलंगाना में फँसे आप्रवासियों को उनको अपने गृह राज्य पहुँचाने के लिए। यह ट्रेन झारखंड के हटिया स्टेशन तक के लिए है। ट्रेन में क़रीब 1200 आप्रवासी हैं। यह सिर्फ़ एक ट्रेन है जिसको रेलवे ने एक बार चलाने की विशेष अनुमति दी। ट्रेन में 24 डिब्बे हैं। एक डब्बे में सामान्य रूप से 72 लोगों के लिए व्यवस्था होती है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करने के लिए हर डिब्बे में 54 लोगों को ही जाने दिया गया। ट्रेन के खुलने के बाद रेल मंत्रालय ने बयान जारी किया कि यह तेलंगाना सरकार के आग्रह पर सिर्फ़ एक बार चलने के लिए एक ट्रेन को अनुमति दी गई।
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने जारी बयान में कहा है, 'यह केवल एक बार चलने वाली विशेष ट्रेन है। आगे की सभी रेलगाड़ियों की योजना केवल रेल मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार और जहाँ से ट्रेन खुलेगी व जहाँ ट्रेन जाएगी वहाँ की राज्य सरकारों के अनुरोध पर बनाई जाएगी।'
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर इस बात की पुष्टि की और कहा कि केंद्र सरकार ने लोगों को राज्य में वापस लाने के लिए एक विशेष ट्रेन चलाने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि इसके बाद हमने उन्हें वापस लाने के लिए तुरंत काम शुरू कर दिया।
सोरेन ने कहा, 'जैसे अन्य राज्यों में पढ़ रहे छात्र हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं ठीक उसी तरह झारखंडी श्रमिक भी उतने ही अहम हैं। हर एक झारखंडी की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है और इसको लेकर आपकी सरकार बेहद संजीदा है।'
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केरल से ओडिशा के लिए ट्रेन
'एनडीटीवी' ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि ऐसी ही एक ट्रेन केरल के एर्नाकुलम से आज शाम छह बजे ओडिशा के भुवनेश्वर के लिए रवाना होने वाली है। ट्रेन को पहवे डिसइंफेक्ट यानी वायरस मुक्त किया जाएगा और सोशल डिस्टेंसिंग का सख़्ती से पालन किया जाएगा।ट्रेन रवाना होने की ख़बर ऐसे समय में आई है जब दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने दूसरे राज्यों और शहरों में फँसे लोगों के लिए ताज़ा निर्देश जारी किए हैं। इसमें इसने कहा है कि जिन आप्रवासी लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण नहीं होंगे वे लॉकडाउन के दौरान भी अपने घर जा सकते हैं। गृह मंत्रालय के इस नये दिशा निर्देश में राज्यों से कहा गया है कि वे अपनी-अपनी नोडल एजेंसी तैयार करें और आप्रवासियों को ले जाने के लिए प्रोटोकॉल तैयार करें। जिस व्यक्ति को एक से दूसरी जगह ले जाया जाएगा उसकी स्क्रीनिंग होगी और कोरोना का कोई भी लक्षण नहीं दिखने पर ही जाने दिया जाएगा। इन आप्रवासियों में मज़दूर, छात्र, पर्यटक, श्रद्धालु सभी आएँगे।
उस आदेश में कहा गया था कि लोगों को लाने ले जाने के लिए बसों को अंतरराज्यीय आवागमन के लिए मंजूरी दी जाएगी। हर ट्रिप के बाद बसों को सैनिटाइज किया जाएगा। लेकिन केंद्र सरकार ने ट्रेन चलाने से इनकार किया है। यानी ऐसे लोगों को बस में ही यात्रा करनी पड़ेगी।
केंद्र के आदेश के बाद, पंजाब, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और कुछ दक्षिणी राज्यों सहित कई राज्यों ने दूरी और बस यात्रा की सीमाओं को देखते हुए ट्रेनें चलाने के लिए कहा था। लेकिन अपने आदेश में केंद्र ने कहा था कि लोगों को सड़क मार्ग से जाना चाहिए और राज्यों को परिवहन व्यवस्था करनी चाहिए।
इस पर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने पीटीआई से कहा था, 'झारखंड में इतने बड़े पैमाने पर परिवहन सुविधाएँ और संसाधन नहीं हैं। और संसाधनों की व्यवस्था संभव नहीं है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और लोगों को बिना किसी शुल्क के विशेष रेलगाड़ियों के ज़रिए घर लौटने की अनुमति देनी चाहिए।'
दूसरे राज्यों में फँसे मज़दूरों को अपने गृह राज्य में वापस लौटने देने के संबंध में निर्देश के कुछ देर बाद ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि 4 मई से देश के कई ज़िलों में लॉकडाउन में ढील दी जाएगी। गृह मंत्रालय के ताज़ा निर्देशों से साफ़ है कि देश के कई ज़िलों में जहाँ ढील दी जाएगी वहीं कई ज़िलों में लॉकडाउन जारी रहने की संभावना है। हालाँकि इस बारे में साफ़-साफ़ कुछ भी कहा नहीं गया है। 3 मई को लॉकडाउन की मियाद ख़त्म हो रही है। इससे पहले 14 अप्रैल को लॉकडाउन को तीन मई तक के लिए बढ़ा दिया गया था।
बता दें कि सरकार का यह फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब 3 मई तक के लिए लागू लॉकडाउन की अवधि ख़त्म होने वाली है और पंजाब, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों ने कहा है कि वे लॉकडाउन को बढ़ाएँगे। लॉकडाउन के बीच ही उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने तो दूसरे राज्यों में फँसे लोगों को पहले से ही वापस अपने गृह राज्य लाने का कार्य शुरू कर दिया है।
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