किसानों ने एक बार फिर मोदी सरकार को चेताया है कि वह उनकी मांगों को गंभीरता से ले और उन्हें तुरंत मान ले। किसानों और सरकार के बीच 4 जनवरी को अगले दौर की वार्ता होनी है। किसान नेताओं ने कहा है कि अगर यह वार्ता फ़ेल होती है तो वे अपना आंदोलन तेज़ करेंगे।
किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए बनाए गए संयुक्त किसान मोर्चा ने यह हुंकार भरी है। संयुक्त किसान मोर्चा में देश भर के 40 से ज़्यादा किसान संगठन शामिल हैं। किसान नेता इससे पहले भूख हड़ताल से लेकर भारत बंद का कार्यक्रम कर चुके हैं। हरियाणा में टोल प्लाजा फ्री करने का भी कार्यक्रम उन्होंने किया है। 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के दौरान किसानों ने थालियां बजाकर इसका विरोध किया था।
झुकी मोदी सरकार
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए कहा है कि 6 जनवरी से अगले दो हफ़्ते तक उनका आंदोलन और बढ़ेगा। 30 दिसंबर को हुई बातचीत में सरकार और किसानों के बीच दो विषयों पर रजामंदी बन गई थी यानी सरकार किसानों के सामने झुकी थी और पराली वाले अध्यादेश और प्रस्तावित बिजली क़ानून को लेकर किसानों की मांगों को मान लिया गया था। अब जो दो विषय हैं- वे तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर क़ानूनी गारंटी बनाने के हैं।
सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार शाम को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सिर्फ़ दो मांगों को माना जाना बड़ी बात नहीं है, हमारी दो मांगें अभी भी लंबित हैं। उन्होंने कहा कि अगर 4 जनवरी को बातचीत का सही नतीजा नहीं निकलता है तो किसान कुंडली-मानेसर-पलवल हाईवे पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। पहले यह मार्च 31 दिसंबर को निकाला जाना था लेकिन सरकार के अनुरोध पर किसानों ने इसे रद्द कर दिया था।
किसानों ने कहा है कि वे 7 से 20 जनवरी तक पूरे देश में ‘देश जागृति अभियान’ चलाएंगे। इसके साथ ही 18 जनवरी को महिला किसान दिवस और 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर किसान चेतना दिवस मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा में टोल प्लाज़ा फ्री रहेंगे और सभी पेट्रोल पंप और मॉल्स बंद रहेंगे। किसानों ने कहा कि बीजेपी और जेजेपी के नेताओं का इनका गठबंधन बने रहने तक हरियाणा भर में विरोध जारी रहेगा। अंबानी-अडानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार भी जारी रहेगा।
30 दिसंबर को हुई बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसान नेताओं का कहना है कि नए कृषि क़ानूनों को रद्द कर दिया जाना चाहिए। इस पर सरकार की ओर से कहा गया है कि सरकार इस मसले पर और चर्चा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा था कि जहां तक एमएसपी का मसला है, किसान चाहते हैं कि एमएसपी को लेकर क़ानूनी गारंटी होनी चाहिए, इसे लेकर चर्चा जारी है और अगली बैठक में इस विषय पर चर्चा होगी।
किसानों के आंदोलन पर देखिए वीडियो-
जियो के टावर्स की बिजली काटी
मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब में किसानों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर है। कृषि क़ानूनों से नाराज़ किसानों ने अंबानी के प्रोडक्ट्स के बहिष्कार का एलान किया हुआ है और इससे मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस खासी परेशान है। इसके तहत जियो के नंबर को दूसरे सर्विस प्रोवाइडर में पोर्ट कराया जा रहा है। पंजाब में रिलायंस के पेट्रोल पंप और रिटेल आउटलेट्स के बाहर लंबे वक्त से धरना दिया जा रहा है और अब किसान जियो के टावर्स की बिजली काट रहे हैं। इस वजह से राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं प्रभावित हो रही हैं और लोगों को खासी परेशानी हो रही है।
आंदोलित किसान संगठनों ने अब तक पंजाब में जियो के 1300 टावर्स को होने वाली बिजली की सप्लाई को रोक दिया है। पंजाब में जियो के 9 हज़ार टॉवर हैं।
केरल विधानसभा में प्रस्ताव पास
केंद्र सरकार के तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ केरल की विधानसभा में प्रस्ताव पास किया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार इन विवादास्पद क़ानूनों को वापस ले और इन्हें जल्दबाज़ी में संसद द्वारा लागू किया गया। केरल की पिनराई विजयन सरकार ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए एक घंटे का विशेष सत्र बुलाया था। विजयन की सरकार विधानसभा का सत्र काफ़ी पहले बुलाना चाहती थी, लेकिन राज्यपाल ने तब इसकी मंजूरी नहीं दी थी। इस पर काफ़ी विवाद भी हुआ था। लेकिन बाद में राज्यपाल ने सत्र के लिए सहमति जता दी थी।
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