नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर धरना दे रहे किसानों ने आंदोलन को रफ़्तार देने का फ़ैसला किया है। सर्द हवाओं के बीच बीते 26 दिन से धरना दे रहे किसान 21 दिसंबर को भूख हड़ताल पर रहे। इसके अलावा 27 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात करेंगे, उस दिन किसान और आंदोलनकारी देश भर में थालियां बजाएंगे। किसानों के आंदोलन को सोशल मीडिया पर भी समर्थन मिल रहा है।
रविवार शाम को सिंघु बॉर्डर पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेन्स में भारतीय किसान यूनियन के नेता जगजीत सिंह डलेवाला ने देश भर के लोगों से अपील की कि 27 दिसंबर को जब मोदी मन की बात करें तो लोग थालियां-बर्तन बजाएं। याद दिला दें कि कुछ महीने पहले कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में पीएम मोदी ने लोगों से ताली-थाली बजाने की अपील की थी।
सरकार ने दिया न्यौता
इस सबके बीच, केंद्र सरकार ने किसानों को एक बार फिर बातचीत का न्यौता दिया है। सरकार ने किसान नेताओं से कहा है कि वे अपनी सुविधा के मुताबिक़ उस तारीख़ का चयन कर लें, जिस दिन बातचीत की जा सके।
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब को लिखे पत्र में अपील की है कि आगे की बातचीत के लिए तारीख़ तय की जाए जिससे इस मसले का हल निकल सके। इस पत्र को 39 अन्य किसान नेताओं को भी भेजा गया है।
सरकार और किसान नेताओं की कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद इस मुद्दे पर जबरदस्त गतिरोध बन गया है। न सरकार पीछे हटने को तैयार है और न किसान।
गुरूद्वारा पहुंचे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दिल्ली के गुरूद्वारा रकाबगंज साहिब जाकर मत्था टेका। हालांकि कल गुरू तेग बहादुर का शहीदी दिवस था लेकिन इसे कृषि क़ानूनों को लेकर नाराज़ चल रहे सिखों की नाराज़गी दूर करने और उनके बीच पहुंचने की कोशिश माना गया। किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री को इतनी ठंड में धरना दे रहे किसानों के बीच आना चाहिए।
किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो-
फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट्स चालू
किसानों के आंदोलन में रविवार रात को उस वक़्त माहौल ख़ासा गर्म हो गया जब संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बनाए गए फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम के अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया गया। इसे लेकर देश के साथ ही दुनिया भर में तीख़ी प्रतिक्रिया हुई और इसे किसानों की आवाज़ को दबाने की कोशिश माना गया। बता दें कि दुनिया तक अपनी आवाज़ पहुंचाने के लिए किसानों ने फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर अकाउंट्स बनाए हैं और यू ट्यूब चैनल भी शुरू किया है। तीन घंटे के बाद इन पेजों को चालू कर दिया गया।
सरकार-किसानों में जंग
कड़ाके की इस ठंड में जब राजधानी का पारा गिरकर रात के वक़्त 2-3 डिग्री तक पहुंच गया है, ऐसे में भी किसान बुलंद हौसलों के साथ दिल्ली के बॉर्डर्स पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे भी शामिल हैं। दूसरी ओर, बीजेपी और मोदी सरकार लगातार नए कृषि क़ानूनों को किसानों के हित में बता रही है और विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी पूरी कोशिश कर रही है कि वह किसानों के दबाव में न आए। उसने तमाम बड़े नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों को देश भर में इस मसले पर रैलियां करने, प्रेस कॉन्फ्रेन्स करने के काम में लगाया हुआ है। दूसरी ओर, किसानों को समझाने की उसकी सारी कोशिशें फ़ेल हो चुकी हैं।
मुश्किल में मोदी सरकार
मोदी सरकार के लिए परेशानी की बात ये भी है कि सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर पंजाब-हरियाणा और बाक़ी राज्यों से आने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। यही हाल ग़ाजीपुर बॉर्डर का है, जहां पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से लगातार किसान आ रहे हैं।
मोदी सरकार के आला मंत्रियों और बीजेपी के रणनीतिकारों की चिंता यह भी है कि अगर किसान आंदोलन इसी तरह चलता रहा तो आने वाले कुछ महीनों में कई राज्यों में होने जा रहे चुनावों में पार्टी को ख़ासा नुक़सान हो सकता है। ऐसे में सरकार के सामने इसके सिवा कोई रास्ता नहीं है कि वह कृषि क़ानूनों को वापस ले ले।
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